चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च दिन बुधवार को होने जा रहा है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. इसके साथ ही धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ में फूलों का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि देवी-देवताओं को उनको प्रिय फूल अर्पित करने से वे आप से प्रसन्न होते हैं.
नवरात्रि के पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन माता रानी को सफेद कनेर या गुड़हल का लाल फूल अर्पित करें. इससे आपकी सभी मनोकामना पूरी होंगी.
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है. इस दिन आप माता रानी के चरणों में वटवृक्ष का फूल मां के चरणों में अर्पित करें. साथ ही मां को वटवृक्ष या गुलदाउदी के पुष्प चढ़ाए जाते हैं.
तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन मां को शंखपुष्पी फूल अर्पित करने से घर में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहेगी.
चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन मां को पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए.
पांचवें दिन माता दुर्गा के स्कन्दमाता की पूजा की जाती है. इस दिन भी आप माता को पीले रंग के पुष्प अर्पित करें.
नवरात्रि के छठे दिन मां के कात्यानी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन आप माता को बेर के वृक्ष के फूल अर्पित करें.
सातवें दिन आप माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है. इस दिन माता रानी के प्रिय फूल कृष्ण कमल अर्पित करें.
आठवें दिन माता रानी के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन मां को मोगरे की फूल अर्पित करें.
नवमी या समापन के दिन मां के सिद्धदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मां को गुड़हल के पुष्प चढ़ाने से वे प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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