Phulera Dooj 2023: पांच शुभ योग में मनाई जाएगी इस बार फूलेरा दूज, हर शुभ काम होंगे सफल
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Phulera Dooj 2023: पांच शुभ योग में मनाई जाएगी इस बार फूलेरा दूज, हर शुभ काम होंगे सफल

Phulera Dooj 2023 Date:  फूलेरा दूज हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. उदया तिथि के अनुसार, इस बार यह त्योहार 21 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन पांच शुभ योग भी बन रहे हैं.

फुलेरा दूज 2023

Phulera Dooj Shubh Muhurat: फूलेरा दूज हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार यह तिथि 21 फरवरी मंगलवार के दिन पड़ रही है. इस दिन फूलों का उत्सव मनाने की परंपरा है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलने लगती है. इस बार का यह त्योहार कई मायनों में खास है. इस दिन पांच बेहद शुभ योग बन रहे हैं और अबूझ मुहूर्तभी है. ऐसे में इस दिन कोई शुभ कार्य शुरू करेंगे तो उसमें सफलता हाथ लगेगी.

तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार फूलेरा दूज की तिथि 21 फरवरी को सुबह 9 बजकर 4 मिनट से लेकर 22 फरवरी सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 21 फरवरी को फूलेरा दूज मनाया जाएगा. 

शुभ योग 

इस दिन सुबह से लेकर 6 बजकर 57 मिनट तक शिव योग बन रहा है. वहीं, सुबह 6 बजकर 57 मिनट से लेकर अगले 3 बजकर 8 मिनट तक सिद्ध योग रहेगा. इसके साथ ही 22 फरवरी को सुबह 3 बजकर 8 मिनट से पूरे दिन साध्य योग बन रहा है. 21 फरवरी सुबह 6 बजकर 38 मिनट से 22 फरवरी सुबह 6 बजकर 54 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. इसके साथ ही 21 फरवरी सुबह 9 बजकर 4 मिनट से लेकर 22 फरवरी सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक त्रिपुष्कर योग रहेगा.

अबूझ मुहूर्त

इस बार फूलेरा दूज के दिन अबूझ मुहूर्त भी है. ऐसे में इस दिन कोई भी शुरू किया गया नया काम सफल होने की संभावना होती है. इस दिन मांगलिक कार्य भी किए जा सकते हैं. इसके लिए मुहूर्त देखने की भी जरूरत नहीं होती है. 

कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण कार्य में व्यस्तता के कारण राधा जी से नहीं मिल पा रहे थे. इससे वह अत्यंत दुखी रहने लगी थीं. उनके दूखी होने का असर प्रकृति पर भी पड़ने लगा. भगवान श्रीकृष्ण ने जब प्रकृति की हालत देखी तो राधा रानी से मिलने गए. उनके मिलन से दोबारा से चारों तरफ हरियाली छा गई. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़कर राधा जी पर फेंक दिया. इसके बाद से ही फूलों की होली खेलने की परंपरा शुरू हो गई.  

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