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PITRU DOSH KE UPAY: पितृदोष आखिर क्यों होता है, ऐसा विचार आपके मन में भी उठता होगा. शास्त्रों की मानें तो यह सब हमारी ही कुछ जानी- अनजानी गलतियों के कारण उत्पन्न होते हैं. पूर्व जन्म के पापों के कारण या पितरों के श्राप के कारण कुंडली में पितृदोष प्रकट होता है. इसके कारण पिता को मृत्युतुल्य कष्ट होता है, साथ ही व्यक्ति के भाग्योदय में बाधा आती है. ज्योतिष में जब भाग्य भाव पीड़ित हो जाता है तब ऐसा होता है.
भाग्य भाव ही धर्म का घर
दरअसल भाग्य भाव ही धर्म का घर कहलाता है, इसी घर से कुण्डली में पिता का भी विचार किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह घर क्रूर व पापी ग्रहों से पीड़ित हो जाए तो यह पूर्वजों की नाराजगी व अधूरी इच्छाओं की ओर इशारा करता है. इसके अतिरिक्त सूर्य और चंद्र यदि राहु या केतु से पीड़ित हो जाए तो भी पितृ दोष माना जाता है.
पितृदोष दूर करना है तो इन उपायों को करें
शास्त्रों में पितृदोष को दूर करने के लिए कई सार्थक उपाय बताए गए हैं. जिनका अनुसरण कर, अपनी योग्यता के अनुसार पितरों को तृप्त कर आप भी पितर का आशीर्वाद पा सकते हैं. यहां कुछ ऐसे ही उपाय बताएं जा रहे हैं, जो पितृदोष के असर को कम करते हैं.
-सोमवती अमावस्या को पीपल के पेड़ की पूजा करने के पश्चात् एक जनेऊ पीपल के पेड़ और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिए. फिर उस पेड़ की परिक्रमा करें. मिठाई अपनी सामर्थ्यनुसार पीपल को अर्पित कीजिए. परिक्रमा करते वक्त ‘ऊं नमों भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते रहें. परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु से प्रार्थना कीजिए कि जाने- अनजाने में जो भी अपराध हुए हैं, उन्हें क्षमा करें. सोमवती अमावस्या को इस प्रयोग को करने से बहुत जल्दी ही उत्तम फल की प्राप्ति होने लगती है.
-कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाए गए लड्डू, हर शनिवार को खिलाएं.
-‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का प्रतिदिन एक बार माला जप करें, नाग पंचमी का व्रत रखें व नाग प्रतिमा की अंगूठी पहनें.
-सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण के दिन अनाज से तुला दान करना चाहिए ऐसा करने से लगा श्राप कम होता है.
-पुष्य नक्षत्र को महादेव पर जल एवं दुग्ध चढ़ाएं तथा रुद्र का जप एवं अभिषेक करें या हर सोमवार को दही से महादेव का ‘ऊं हर- हर महादेव’ कहते हुए अभिषेक करें.
-शिवलिंग पर तांबे का सर्प अनुष्ठान पूर्वक चढ़ाएं. साथ ही पितरों के मोक्ष के उपाय करें, श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध करें.
-कुलदेवता की पूजा अर्चना भी नित्य करनी चाहिए.
-पितृ दोष की शांति कराने के लिए गया भी करना उत्तम रहता है.
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