Mehandipur Balaji Temple से घर नहीं ला सकते प्रसाद, जानिए क्या है रहस्य?
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Mehandipur Balaji Temple से घर नहीं ला सकते प्रसाद, जानिए क्या है रहस्य?

राजस्थान के दौसा में बना मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Temple) एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है. इस मंदिर पर साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. 

फाइल फोटो

दौसा (राजस्थान): हमारे देश में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और बजरंग बली एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं. जहां प्रभु राम होंगे, वहां पर भगवान हनुमान भी जरूर मिलेंगे. बजरंग बली को अनेक नामों से भी पुकारा जाता है. कहीं पर उन्हें भगवान हनुमान तो कहीं पर संकटमोचक कहा जाता है.

  1. सालभर लगा रहता है भक्तों का तांता
  2. बालरुप में विराजमान हैं संकटमोचक
  3. मंदिर से स्वस्थ होकर लौटते हैं रोगी

सालभर लगा रहता है भक्तों का तांता

माना जाता है कि हनुमानजी की उपासना से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. हमारे देश में कई प्रसिद्ध हनुमान मंदिर हैं. इन्हीं में से एक राजस्थान (Rajasthan) के दौसा (Dausa) की दो पहाड़ियों के बीच बना मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Temple). इस मंदिर पर सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है और लोग यहां से खुश होते हुए लौटते हैं. 

बालरुप में विराजमान हैं संकटमोचक

दौसा में बने मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Temple) में हनुमानजी अपने बालरूप में विराजमान हैं. उनके ठीक सामने भगवान-राम सीता की मूर्ति है. जिनके वे हमेशा दर्शन करते रहते हैं. यहां आने वाले भक्तों के लिए नियम है कि उन्हें दर्शन से कम से कम एक हफ्ते पहले से प्याज, लहसुन, नॉनवेज, शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए. 

मंदिर से स्वस्थ होकर लौटते हैं रोगी

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Temple) में ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहीं पर प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की मूर्ति भी विराजित है. हर रोज 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी (कीर्तन) होता है. यहीं पर लोगों पर आए ऊपरी साये को दूर किया जाता है. हनुमानजी के चरणों में पहुंचने के बाद व्यक्ति पूर्ण रुप से स्वस्थ्य होकर घर लौटता है.

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मंदिर का प्रसाद नहीं ले जा सकते घर

इस मंदिर का एक और नियम है. यहां पर मिलने वाले प्रसाद को आप न तो खा ही सकते हैं और न ही किसी को दे सकते हैं. आप उस प्रसाद को घर भी नहीं ले जा सकते. इसके बजाय आपको उस प्रसाद को मंदिर पर ही चढ़ाना होता है. मान्यता है कि आप इस मंदिर से कोई भी खाने-पीने की चीज या सुगंधित वस्तु तक को अपने घर नहीं ले जा सकते हैं. ऐसा करने से ऊपरी साया आप पर आ जाता है.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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