Premanand Ji Maharaj: अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के नाम देवी-देवताओं के नाम पर रखते हैं. ऐसा करना धर्मसंगत है या नहीं, इसका जवाब मशहूर संत प्रेमानंद महाराज जी ने एकांतिक वार्तालाप में दिया है.
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Premanand Maharaj: वृंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज के एकांतिक वार्तालाप सत्संग के वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल होते हैं. हर आयु वर्ग के लोगों को प्रेमानंद महाराज के ये वीडियो बहुत पंसद आते हैं. दरअसल एकांतिक वार्तालाप में प्रेमानंद जी महाराज सत्संग में आए लोगों के प्रश्नों के उत्तर देते हैं. आमतौर पर ये प्रश्न कई लोगों के मन में होते हैं. लिहाजा ये वीडियो लाखों-करोड़ों लोगों की समस्याओं का समाधान देते हैं. आज हम एक ऐसे ही सवाल का जवाब जानते हैं जो उन पैरेंट्स के मन में आता है, जिनके बच्चे बहुत छोटे हैं या जो दंपत्ति जल्द मां-बाप बनने जा रहे हैं.
बच्चे का नाम
मां-बाप अपने बच्चे को लेकर अनगिनत सपने देखते हैं. बच्चे का जन्म होने से पहले ही उसके लिए ढेर सारी योजनाएं बनाने लगते हैं. इसमें एक महत्वपूर्ण चीज बच्चे का नाम भी होता है. बेटा हो या बेटी उसका नाम बहुत खास हो इसके लिए ना केवल बच्चे के मां-बाप बल्कि पूरा परिवार ही खासी माथापच्ची करता है. मां-बाप चाहते हैं कि बच्चे का नाम यूनीक हो साथ ही अर्थपूर्ण भी हो. कई लोग देवी-देवताओं के नाम पर अपने बेटा-बेटी के नाम रखते हैं. साथ ही उनके मन में यह सवाल भी आता है कि क्या ऐसा करना उचित है या नहीं.
होती है ये समस्या?
प्रेमानंद जी महाराज से ऐसे ही एक दंपत्ति ने सवाल पूछा कि हम बच्चे के नाम के जरिए बार-बार भगवान का नाम ले सकें इसलिए बच्चे का नाम भगवान के नाम पर रखते हैं. लेकिन बच्चे का नाम कॉपी, सरकारी दस्तावेजों आदि कई जगह लिखना होता है और वे जाने-अनजाने में हमारे द्वारा या स्कूल, सरकारी दफ्तरों द्वारा कहीं भी रख दिए जाते हैं. क्या ऐसे में भगवान के नाम की अवमानना का दोष तो नहीं लगता है.
पुकारने वाला नाम रखें
इस पर प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि ऐसी स्थिति से बचने के लिए बच्चे के घर का नाम या पुकारने वाला नाम भगवान के नाम पर रखें जैसे पहले के समय में लोग राधेश्याम, सीताराम, राधा, कान्हा आदि रखते थे. आप भी ऐसा कर सकते हैं. बच्चे का सांसारिक नाम अलग रखें, वहीं पुकारने का नाम भागवतिक यानी कि भगवान के नाम पर रखें.