चांदी के खिलौनों से खेलेंगे रामलला, शुद्ध सोने के जरी-तारों से बनी है पोशाक
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चांदी के खिलौनों से खेलेंगे रामलला, शुद्ध सोने के जरी-तारों से बनी है पोशाक

Ram lalla Virajman Photo: रामलला पूरे वैभव और ठाठ-बाठ के साथ विराजमान हो चुके हैं. 5 साल के रामलला को सोने की जरी और तारों से बनी पोशाक पहनाई गई है तो खेलने के लिए चांदी के खिलौने भी रखे गए हैं.

चांदी के खिलौनों से खेलेंगे रामलला, शुद्ध सोने के जरी-तारों से बनी है पोशाक

Ram Lalla Darshan: भगवान राम का दिव्‍य रूप देखकर लोगों की आंखें भर आईं हैं. रामलला की ऐसी न्‍यारी छवि है कि उसे देखते हुए भक्‍तों की पलकें नहीं झपक रही हैं. अपने प्‍यारे रामलला के भव्‍य मंदिर में विराजमान होने पर पूरे देश ने दिवाली मनाई. अब अलसुबह से ही प्रभु राम के दर्शन करने के लिए अयोध्‍या पहुंचे श्रद्धालु लाइन में लगे हुए हैं. जल्‍द से जल्‍द रामलला के दर्शन करने के लिए कई भक्‍त तो रात से ही कतार में लग गए थे. सोने, हीरे-पन्‍ने से बने दिव्‍य मुकुट, तिलक, आभूषण, सोने के तारों और जरी से बनी पोशाक रामलला की श्‍यामल मूर्ति पर सुशोभित हो रही है. इतना ही नहीं रामलला की प्रतिमा के सामने खिलौने भी रखे गए हैं. 

रामलला के लिए चांदी के खिलौने  

श्री राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट के अनुसार चूंकि मंदिर में पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गये हैं. इन खिलौनों में चांदी का झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू शामिल हैं.

ठंड के कारण जलाधिवास भी थोड़ी देर 
 
दरअसल, रामलला को वात्‍सल्‍य देते हुए उनकी हर सुख-सुविधा का ध्‍यान रखा जा रहा है. उदारण के लिए मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा से पहले किए गए अनुष्‍ठानों में जब प्रतिमा का अधिवास कराया जा रहा था तो जलाधिवास के तहत रामलला की मूर्ति को जल में रखा गया था. लेकिन कड़ाके की ठंड को देखते हुए यह जलाधिवास तय समय से कम देर का ही किया गया ताकि रामलला को ठंड ना लग जाए. 

सोने की जरी-तारों से बनी है पीतांबरी पोशाक
 
रामलला की पोशाक भी बेहद खास है. रामलला बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती और लाल रंग के पटुके/अंगवस्त्रम सुशोभित हैं. इन वस्त्रों पर शुद्ध सोने की जरी और तारों से काम किया गया है. वस्‍त्र में वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर आदि अंकित हैं. मंदिर ट्रस्‍ट के अनुसार इन वस्त्रों का निर्माण श्री अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार श्री मनीष त्रिपाठी ने किया है.

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