Ramayan Story: संकोच में थीं माता कैकेयी जब अयोध्‍या पहुंचे श्री राम! मन में उठ रहे थे ऐसे विचार
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Ramayan Story: संकोच में थीं माता कैकेयी जब अयोध्‍या पहुंचे श्री राम! मन में उठ रहे थे ऐसे विचार

Ramayan Story in Hindi: लंका में विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटने पर श्री राम और लक्ष्मण अपने भाइयों भरत, शत्रुघ्न और सभी नगर वासियों से मिले, इसके बाद उन्होंने माताओं से मिलकर आशीर्वाद लिया. माताओं ने उनकी आरती उतारी लेकिन इस दौरान माता कैकेयी बहुत संकोच में थीं. 

प्रतीकात्‍मक फोटो

Ramayan Story of Meeting With Sri Ram & his Mothers: लंका में रावण का वध कर अयोध्या में लौटने पर भाई भरत से श्री राम के मिलन का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं कि कमल के समान नेत्रों से जल की धारा बहती ही रही. त्रिलोकी के स्वामी अपने छोटे भाई भरत जी को अत्यंत प्रेम से गले लगा कर मिल रहे हैं, भाई से मिलने के दृश्य का वर्णन कर पाना उनके बस में नहीं है. कृपा सागर श्री राम ने भरत जी से कुशलक्षेम पूछी तो आनंद में उनके मुख से शब्द ही नहीं निकले. फिर उन्होंने शत्रुघ्न से भेंट की. इसके बाद चारों भाई एक दूसरे मिल कर बहुत ही प्रसन्न हुए और एक तरह से अयोध्या नगरी का शोक ही समाप्त हो गया. 

श्री राम ने देखा कि अयोध्यावासी बहुत ही आनंदित हैं और उनसे मिलने को आतुर हैं तो प्रेम के सागर श्री राम ने चमत्कार करते हुए अपने असंख्य रूप प्रकट किए हर नगर वासी से गले मिले. श्री राम सबको सुखी करके आगे महल की ओर बढ़े तो महारानी कौशल्या सहित सभी माताएं उनसे मिलने को दौड़ पड़ीं जिस तरह एक गाय अपने नवजात बछड़े को देख कर दौड़ लगाती है. प्रभु श्री राम अपनी सभी माताओं से प्रेम से मिले और बहुत प्रकार के कोमल वचन कहे.

श्री राम से मिलने में कैकेयी को हुआ बहुत संकोच

सुमित्रा जी यह जानकर बहुत प्रसन्न थीं कि उनके पुत्र लक्ष्मण जी की प्रीति श्री राम के चरणों में हैं, इसीलिए वह आगे बढ़ कर श्री राम से मिलीं और बाद में लक्ष्मण जी को आशीर्वाद दिया. श्री राम से मिलते समय माता कैकेयी के हृदय में बहुत संकोच हुआ, इधर लक्ष्मण जी भी सभी माताओं से मिले और आशीर्वाद पाकर हर्षित हुए. माता कैकेयी से वह बार-बार मिले किंतु उनके मन का क्षोभ कम नहीं हुआ.

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माताओं ने श्री रघुनाथ जी को निहारते हुए उतारी आरती

जानकी जी ने भी सभी सासुओं के चरणों को प्रणाम किया और सासुओं ने भी उनकी कुशल पूछ कर आशीर्वाद दिया कि उनका सुहाग अचल रहे. सभी माताएं श्री रघुनाथ का मुख बार-बार देखने लगीं. उनकी आंखों में प्रेम के आंसू उमड़े किंतु यह सोचकर कि यह समय मंगलकारी है उन्होंने आंसुओं को अपनी आंखों के कोने में ही रोक लिया. माताओं ने सोने के थाल में दीया रख कर बारी-बारी से श्रीराम की आरती उतारी. माताओं ने अनेक प्रकार से स्वर्ण सिक्के, अशर्फियां और आभूषण न्योछावर किए. उनका हृदय परमानंद और हर्ष से भर उठा.

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कैसे मारा होगा महाबली रावण को?

माता कौशल्या श्री राम और लक्ष्मण जी को देख कर मन ही मन विचार करने लगीं कि मेरे ये दोनों बच्चे तो बहुत ही कोमल और सुकुमार हैं तथा रावण महाबली, महापराक्रमी और आकार में भी बहुत बड़ा है. आखिर कैसे इन दोनों ने अपने छोटे-छोटे हाथों से उसका वध किया होगा, इन दोनों ने कैसे लंकाधिपति रावण को मारा होगा.

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