Ramayan Story: रावण की बहन शूर्पणखा सुंदर रूप रखकर श्री रघुनाथ जी (श्रीराम) के पास विवाह का प्रस्ताव लेकर गई थी. राम कथा में जानिए फिर लक्ष्मण जी ने क्या किया.
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Ramayan Story in Hindi: दंडकवन में गोदावरी नदी के तट पर पंचवटी में पर्णकुटी बना कर प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ रहने लगे. शूर्पणखा नाम की रावण की एक बहन थी. घूमते फिरते हुए वह भी पर्णकुटी पहुंची. जहां उसे दो सुंदर राजकुमार दिखे. राजकुमारों के रूप में प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी को देख कर वह काम वासना से व्याकुल हो गई. वह सुंदर रूप रख कर प्रभु के पास पहुंची और मुस्कुराकर बोली, संसार में न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है और न ही मेरे समान कोई स्त्री. उसने आगे कहा कि मैंने तीनों जगत में बहुत खोज की किंतु मेरे योग्य कोई पुरुष नहीं दिखा, इसी कारण अभी तक अविवाहित हूं. अब तुमको देखकर मुझे लगता है कि मेरी खोज पूरी हो गई.
प्रभु श्री राम ने कहा, मेरा भाई लक्ष्मण अविवाहित है
शूर्पणखा की बात सुनकर प्रभु श्री राम ने सीता जी की ओर देख कर कहा कि मेरा विवाह तो हो चुका है और मेरी एक सुंदर पत्नी भी है लेकिन, मेरा छोटा भाई लक्ष्मण का विवाह अभी नहीं हुआ है. अगर तुम चाहो तो उससे बात कर लो. लक्ष्मण जी तुरंत ही समझ गए कि उन्हें क्या जवाब देना है. लक्ष्मण जी, प्रभु श्री राम की ओर देखकर बोले. हे सुंदरी, मैं तो उनका दास हूं, इसलिए तुम्हें चाह कर भी सुख सुविधाएं नहीं दे पाउंगा. प्रभु समर्थ हैं, वह तो कोशलपुर के राजा हैं वे जो भी कुछ करेंगे उनके लिए सब कुछ शोभायमान होगा.
लक्ष्मण जी ने काटे शूर्पणखा के नाक कान
लक्ष्मण जी की बात सुनकर शूर्पणखा फिर प्रभु श्री राम के पास लौटी और श्री राम को विवाह का प्रस्ताव दिया. उसने यहां तक कहा कि यदि तुम कोसलपुर के राजा हो तो एक से अधिक पत्नी भी रख सकते हो क्योंकि राजा लोगों की तो कई पत्नियां होती हैं. इतना सुनकर श्री रघुनाथ जी ने फिर से कहा कि तुम लक्ष्मण जी को राजी कर लो क्योंकि मैं तो दूसरा विवाह नहीं करूंगा. अब तो लक्ष्मण जी ने उसे नाराज करने के लिए कह दिया कि तुम्हारी जैसी स्त्री से तो वही विवाह करेगा जिसने अपने स्तर पर लज्जा का त्याग कर दिया होगा. दोनों भाइयों से अपमानित होने के बाद वह खिसिया गई और क्रोधित होते हुए भयंकर स्वरूप में आ गई. उसका भयंकर स्वरूप देखकर सीता जी भयभीत हो गई. सीता जी को भयभीत देखकर श्री रघुनाथ जी ने इशारा किया और लक्ष्मण जी ने बहुत ही फुर्ती से उसके नाक कान काट लिए.
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