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नई दिल्ली: सनातन संस्कृति में नाग को पूजनीय माना गया है. हर साल सावन महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी (Nag Panchami) मनाई जाती है. इस दिन नाग देवता के लिए व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा की जाती है. इससे भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है और कई अन्य शुभ फल मिलते हैं. इस बार नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जाएगी. यह दिन काल सर्प दोष (Kaal Sarp dosh) का निवारण करने के लिए भी बहुत शुभ है. आइए ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू से जानते हैं नाग पंचमी की पूजा (Nag Panchami Puja) और इस दोष का निवारण करने की विधि.
नाग पंचमी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इस व्रत के लिए तैयारी चतुर्थी के दिन से ही शुरू हो जाती हैं. चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें. इसके बाद पंचमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. पूजा के लिए नागदेव का चित्र चौकी के ऊपर रखें. फिर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें. कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें. पूजा के बाद सर्प देवता की आरती उतारी उतारें. आखिर में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें.
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जब कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो इससे काल सर्प दोष बनता है. ऐसे व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. काल सर्प दोष के अलावा भी यदि राहु-केतु की वजह से जीवन में कोई कठिनाई आ रही हो, तो भी नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा करने पर राहु-केतु का बुरा प्रभाव कम हो जाता है.
- ऐसे जातकों को सांप को दूध अर्पित करने से लाभ मिलता है लेकिन आप दूध के पैसे सपेरे को न दें अपितु परोक्ष रूप से नाग को अर्पित करें. यदि सपेरा स्वयं दूध पी जाता है या आप द्वारा दिए गए पैसों का भोजन कर लेता है तो उस उपाय अथवा दान का कोई माहात्म्य नहीं रह जाता. सर्पपालक के तौर पर उसे अलग से दान दिया जा सकता है.
- इसके अलावा नवनाग स्तोत्र का पाठ करें.
- चांदी का नाग बना कर मध्यमा उंगली में धारण करने से लाभ होगा.
- शिवलिंग पर तांबे का सर्प अनुष्ठानपूर्वक चढ़ाया जा सकता है. तांबे के लोटे में नाग के जोड़े डाल कर ,बहते जल में प्रवाहित किये जा सकते हैं.
- इस दिन राहु यंत्र भी रखा जा सकता है. काल सर्प दोष निवारण यन्त्र स्थापित एवं धारण किया जा सकता है.
जातक खुद भी काल सर्प दोष की शांति के लिए पूजा कर सकता है. इसके लिए ओम् रां राहुवे नम: मन्त्र का या ओम कुरूकुल्ये हुं पट स्वाहा मंत्र का 108 बार जाप करके शिव प्रतिमा पर दुध, नाग-नागिन की प्रतिमाएं आदि अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा काल सर्प जनन शान्ति नारायण नागबली इत्यादि त्रयंबकेश्वर ज्यार्तिलिंग, नासिक में कराई जाती हैं. इस दिन काले तिल, काले उड़द,काली राई, नीला वस्त्र, जामुन, काला साबुन, कच्चे कोयले, सिक्का-रांगा या लैड आदि दान अथवा चलते पानी में प्रवाहित करने से विशेष लाभ मिलता है.
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