Shani Dev: शनिवार को सूर्यास्त के बाद कर लें ये काम, शनिदेव प्रसन्न होकर जमकर बरसाएंगे बेशुमार धन-दौलत
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Shani Dev: शनिवार को सूर्यास्त के बाद कर लें ये काम, शनिदेव प्रसन्न होकर जमकर बरसाएंगे बेशुमार धन-दौलत

Shani Upay: हिंदू शास्त्रों में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित हैं. बता दें कि शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. इस दिन सूर्यास्त के बाद किए गए छोटे-छोटे उपाय भी शनि देव को प्रसन्न कर सकते हैं. जानें शनिवार के दिन किन उपायों को करना शुभ माना गया है. 

 

shani stotram path

Shani Stotram Hindi Lyrics: शनिदेव को न्याय के देवता और कर्म फलदाता के नाम से जाना जाता है. शनिदेव को प्रसन्न करने और कुंडली में शनि को मजबूत करने के लिए शनिवार के दिन कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं. जीवन के दुखों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करना लाभदायी रहता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार के दिन शनि स्त्रोत का पाठ करना अधिक फलदायी है. इससे जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जानें शनि स्त्रोत का पाठ.   

शनि स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:। 

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।

भगवान शनिदेव के मंत्र

सफल जीवन के लिए मंत्र

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।

शनिदेव का वैदिक मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌। 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

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