Navratri 2022: हर दिशा में व्याप्त है मां का ये स्वरूप, रोगों से लड़ने का अभेद सुरक्षा कवच देती हैं मां भगवती
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Navratri 2022: हर दिशा में व्याप्त है मां का ये स्वरूप, रोगों से लड़ने का अभेद सुरक्षा कवच देती हैं मां भगवती

Shardiya Navratri 2022: मां भगवती हर तरह से हम लोगों की रक्षा करती हैं. पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ नवरात्र सहित प्रतिदिन देवी कवच का पाठ करने वाले को मां अभेद सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं.

 

नवरात्रि

Shardiya Navratri 2022 Maa Swaroop: दुर्गा सप्तशती में देवी कवच वास्तव में मनुष्य मात्र के लिए रोगों से सुरक्षा का घेरा है. यह केवल देवी की आराधना या आध्यात्मिक पाठ नहीं है, बल्कि पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ नवरात्र सहित प्रतिदिन इसका पाठ करने वाले को देवी अभेद सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं. सेहत के लिहाज से यह अमोघ अस्त्र है. इसका पाठ करने के साथ ही मनोवैज्ञानिक रूप से इस तरह सोचने से काफी लाभ होता है कि अब हम ठीक हो रहे हैं, मां दुर्गा मुझे आशीर्वाद दे रही हैं, मेरे ऊपर उनकी पूरी कृपा है. इस देवी कवच में शरीर के सभी वाह्य और आंतरिक अंगों को सुरक्षा की बात कही गई है. पाठ करते समय मां भगवती के सामने एक घी का दीपक जला लेना चाहिए.

सभी दिशाओं से रक्षा करती हैं मां

मां भगवती हर तरह से हम लोगों की रक्षा करती हैं. शत्रुओं पर विजय मां जगदम्बि दिलाती हैं. पूर्व दिशा में ऐन्द्री अर्थात इन्द्रशक्ति देवी रक्षा करती हैं. पूर्व व दक्षिण के मध्य भाग यानी अग्निकोण में अग्निशक्ति देवी रक्षा करती हैं. यम की दिशा यानी दक्षिण में वाराही कवच बनकर खड़ी रहती हैं. दक्षिण-पश्चिम के मध्य भाग यानी नैर्ऋत्यकोण में खड्गधारिणी रक्षा करती हैं. पश्चिम दिशा में वारुणी देवी रक्षा करती हैं. 

पश्चिम और उत्तर के मध्यम भाग यानी वायव्य कोण में मृगवाहिनी देवी रक्षा करती हैं. ⁠उत्तर दिशा में कौमारी मां रक्षा करती हैं. पूर्व व उत्तर के मध्य यानी ईशान कोण में शूलधारिणी देवी रक्षा करती हैं. मां ब्रह्माणि देवी ऊपर से रक्षा करती हैं. वैष्णवी देवी नीचे की ओर से रक्षा करती हैं. शव पर चलने वाली चामुंडा देवी दसों दिशाओं में रक्षा करती हैं, जया आगे से और विजया पीछे की ओर से रक्षा करती हैं. वामभाग में अजिता और दक्षिणभाग में अपराजिता देवी रक्षा करती हैं.

कवच में प्रत्येक अंगों के लिए प्रार्थना  

देवी कवच की महिमा बड़ी अपार है. इस कवच में शरीर के एक-एक अंग की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है. मां उद्योतिनी शिखा, उमा मस्तक, यशस्विनी देवी भौंहों और भौंहों के मध्यभाग में त्रिनेत्रा, कानों में द्वारवासिनी देवी रक्षा करें. कालिका देवी गाल, भगवती शांकरी कानों, जिह्वा में सरस्वती देवी, दांतों की कौमारी, गले की चंडिका, महामाया तालु, दोनों भुजाओं की वज्रधारिणी, शोक विनाशिनी देवी मन, ललिता देवी हृदय, शूलधारिणी पेट, विन्ध्यवासिनी घुटनो तथा त्वचा की रक्षा वागीश्वरी देवी, पार्वती देवी रक्त, मज्जा, वसा, मांस तथा हड्डी, धर्मधारिणी देवी बुद्धि की रक्षा करें.

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