Sheetla Ashtami 2021: इस दिन है शीतला अष्टमी का व्रत, बासी भोजन का भोग क्यों लगता है; जानें कारण
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Sheetla Ashtami 2021: इस दिन है शीतला अष्टमी का व्रत, बासी भोजन का भोग क्यों लगता है; जानें कारण

एक तरफ जहां देवी देवताओं को ताजा और शुद्ध भोजन भोग लगाने की बात कही जाती है वहीं एक त्योहार ऐसा भी है जिसमें देवी मां को एक रात पहले बना हुआ बासी भोजन भोग लगाया जाता है. शीतला अष्टमी के दिन क्यों खाते हैं बासी भोजन, जानें.

शीतला अष्टमी का व्रत

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग (Panchang) के अनुसार हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) का त्योहार मनाया जाता है. हर साल होलिका दहन के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है जिसे कई जगहों पर बसौड़ा या बासी (Basoda) के नाम से भी जाना जाता है. इस बार शीतला अष्टमी का व्रत 4 अप्रैल 2021 रविवार को है. इस व्रत की खास बात यह है कि इसमें शीतला माता (Goddess Sheetala) को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने के पीछे क्या कारण है, शीतला अष्टमी व्रत का महत्व क्या है और पूजा विधि क्या है, इस बारे में यहां पढ़ें.

  1. 4 अप्रैल रविवार को है शीतला अष्टमी का व्रत
  2. माता शीतला को बासी भोजन का लगता है भोग
  3. रोगों से बचाने वाली देवी के रूप में जानी जाती हैं मां शीतला 

आखिर कौन हैं शीतला माता?

स्कंद पुराण (Skand Puran) में माता शीतला का वर्णन है, जिसमें उन्हें रोगों से बचाने वाली देवी बताया गया है. उनके स्वरूप का वर्णन करते हुए पुराण में बताया गया है कि माता शीतला अपने हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण करती हैं और गर्दभ (गधा) उनकी सवारी है. 

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शीतला अष्टमी का महत्व

यह त्योहार गर्मी के मौसम (Summer Season) की शुरुआत में आता है और आम लोगों को चेचक, खसरा और नेत्र रोग जैसी बीमारियों के संक्रमण से बचाने के लिए शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है. यह व्रत कई तरह की बीमारियों से मुक्ति दिलाकर बेहतर सेहत प्रदान करने में मदद करता है.

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बासी भोजन का भोग लगाने का कारण

माता शीतला को भोग लगने वाले भोजन को एक दिन पहले सप्तमी तिथि की रात में ही बनाकर रख लिया जाता है क्योंकि माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है और परिवार के सभी सदस्य भी प्रसाद के तौर पर उस दिन बासी भोजन ही खाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन के बाद से वातावरण में गर्मी बढ़ने लगती है, जिसकी वजह से शीतला अष्टमी के बाद से बासी भोजन करने की मनाही होती है.

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शीतला अष्टमी की पूजा विधि

शीतला माता को सफाई पसंद है, इसलिए इस दिन सब कुछ साफ-सुथरा होना चाहिए. शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें. पूरे विधि-विधान के साथ से मां शीतला की पूजा करें. आरती करें. एक दिन पहले बने हुए बासी भोजन का भोग लगाएं. साथ ही शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत की कथा सुनें. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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