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नई दिल्ली: भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह (Bhagwan Narsingh) की 25 मई 2021, गुरुवार को जयंती (Jayanti) है. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चर्तुदशी को भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए हिरण्यकश्यप को मारने यह अवतार लिया था. भगवान नरसिंह दैत्य राजा हिरण्यकश्यप को मारने के लिए खंभे को फाड़कर प्रकट हुए थे और उन्होंने आधा रूप नर का और आधा सिंह का रखा था, इसलिए उन्हें नरसिंह कहा गया. भगवान नरसिंह के वैसे तो कई मंदिर हैं लेकिन उत्तराखंड (Uttarakhand) के चामोली जिले के जोशीमठ में स्थित मंदिर बहुत खास है. इस मंदिर को लेकर एक मान्यता है, जिसका सीधा संबंध आपदा से है.
कुछ ही महीने पहले उत्तराखंड के चामोली जिले में आई तबाही ने कई लोगों की जान ले ली थी. इसी जिले के जोशीमठ में भगवान नरसिंह को समर्पित एक मंदिर है. सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नारसिंघ बद्री या नरसिंह बद्री (Narsingh Badri) भी कहा जाता है. माना जाता है कि सर्दियों के दौरान संत श्री बद्रीनाथ इस मंदिर में रहते थे.
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इस मंदिर की एक खास बात और है कि यहां स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति हर दिन छोटी होती जा रही है. मूर्ति की बाईं कलाई पतली है और हर गुजरते दिन के साथ पतली ही होती जा रही है. मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन कलाई बिल्कुल कम होकर प्रतिमा से अलग हो जाएगी, उस दिन बद्रीनाथ (Badrinath) को जाने वाला रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. यह भी कहा जाता है कि इस दिन प्रलय आएगी और भूस्खलन के कारण यह रास्ता अवरुद्ध हो जाएगा.
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(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)