मान-सम्मान और करियर में उछाल के लिए रोजाना निकाल लें बस 5 मिनट, सूर्य देव से जुड़ा ये काम दिलाएगा बेमिसाल सफलता
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मान-सम्मान और करियर में उछाल के लिए रोजाना निकाल लें बस 5 मिनट, सूर्य देव से जुड़ा ये काम दिलाएगा बेमिसाल सफलता

Surya Dev Upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति सूर्य देव की पूजा-उपासना करते हैं, उन्हें जीवन में यश और सम्मान की प्राप्ति होती है. साथ ही, जीवन में हर मोड़ पर सफलता मिलती है. जानें सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए नियमित रूप से क्या करना चाहिए. 

 

surya puja

Surya Stotra And Surya Raksha Kavach: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना महत्व है और व्यक्ति के जीवन पर इसका शुभ और अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है. सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है. साथ ही, सूर्य देव पिता, आत्मविश्वास, सरकारी नौकरी, बॉस और प्रतिष्ठा के प्रतीक माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर नियमित रूप से सूर्य देव की उपासना की जाए, तो व्यक्ति को जीवन में खूब  सफलता, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. 

सूर्य देव जिस व्यक्ति की कुंडली में सकारात्मक स्थिति में होते हैं, उस व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. साथ ही, वह समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है. इतना ही नहीं, ऐसे व्यक्ति के अंदर नेतृत्व के गुण होते हैं और उसके अंदर लीडरशिप की क्वॉलिटी होती है. वहीं, सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति में आत्मविश्वास गिर जाता है. पिता के साथ रिश्तों में खटास आती है. ऐसे में व्यक्ति को सूर्य के शुभ प्रभावों के लिए सूर्य स्त्रोत और सूर्य रक्षा कवच का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए. इससे सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.  वहीं, व्यक्ति को मनचाही नौकरी मिलती है. 

सूर्य स्त्रोत

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।

लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥

लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥

गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।

एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥

सूर्य रक्षा कवच 

याज्ञवल्क्य उवाच-

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।1।

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।

ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् ।2।

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।

नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: ।3।

ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: ।4।

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: ।5।

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति ।6।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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