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Tulsi Ramayan Story : राम कथा में कई संशय भी आते हैं, क्योंकि भगवान की लीलाएं कभी कभी भक्तों को बहुत विचित्र लगती हैं. भगवान कभी तो अपना विराट रूप तक दिखा देते हैं और कभी इतने साधारण और असहाय से बन जाते हैं कि भक्तों को उनकी लीलाएं देखकर संदेह होने लगता है कि ये भगवान हैं भी या नहीं. भक्तों की इन शंकाओं का नाश गुरु ही करते हैं. मुनि भरद्वाज को कैसा संशय था, अज्ञानी बनकर उसे गुरु के सामने कैसे प्रकट किया, इसी प्रसंग के साथ आगे बढ़ाते हैं राम कथा.
अस बिचारि प्रगटउँ निज मोहू।
हरहु नाथ करि जन पर छोहू।।
राम नाम कर अमित प्रभावा।
संत पुरान उपनिषद गावा।।
याज्ञवल्क्य मुनि के आगे ऋषि भरद्वाज विनती करते हैं कि यही विचार कर अपना अज्ञान प्रकट करता हूं। हे नाथ! कृपा कर इस अज्ञान का नाश कीजिए. राम नाम के प्रभाव की कोई सीमा नहीं है, ऐसा संत, पुराण, उपनिषद गाते हैं.
संतत जपत संभु अबिनासी।
सिव भगवान ज्ञान गुन रासी।।
आकर चारि जीव जग अहहीं।
कासीं मरत परम पद लहहीं।।
ज्ञान और गुणों के भंडार अविनाशी भगवान शिव निरंतर राम नाम का जप करते रहते हैं. संसार में चार जाति के जीव हैं. काशी में मरने पर सभी परम पद को प्राप्त करते हैं.
सोपि राम महिमा मुनिराया।
सिव उपदेसु करत करि दाया।।
रामु कवन प्रभु पूछउँ तोही।
कहिअ बुझाई कृपानिधि मोही।।
हे मुनिराज! यह राम नाम की ही महिमा है, क्योंकि काशी में मरने वाला जीव तभी परम पद पाता है जब शिवजी दया करके उसे राम नाम का उपदेश करते हैं. हो प्रभो! वे राम कौन हैं. हे कृपानिधान! मुझे समझाकर कहिए.
एक राम अवधेस कुमारा।
तिन्ह कर चरित बिदित संसारा।।
नारि बिरहँ दुखु लहेउ अपारा।
भयउ रोषु रन रावनु मारा।।
एक राम अवध नरेश महाराज दशरथ के पुत्र हुए हैं. उनका चरित्र सारा संसार जानता है. उन्होंने पत्नी के विरह का अपार दुख उठाया और रोष करके रन में रावण को मार गिराया.
प्रभु सोइ राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरारि
सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि।।
हे प्रभो! जिनका नाम त्रिपुर दैत्य के शत्रु शिवजी जपते हैं, ये वही राम है या कोई दूसरे हैं. अब आप ही विवेक पूर्वक विचार कर कहिए, क्योंकि आप तो सत्य के धाम हो, सब कुछ जानते हो.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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