Sun Temple: देश का अनोखा सूर्य मंदिर जिसके मुख्य द्वार की दिशा रातों रात बदल गई थी, क्या है इसके पीछे की कहानी जानें
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Sun Temple: देश का अनोखा सूर्य मंदिर जिसके मुख्य द्वार की दिशा रातों रात बदल गई थी, क्या है इसके पीछे की कहानी जानें

वैसे तो भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई सूर्य मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग महिमा और महत्व है. लेकिन बिहार में एक ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका मुख्य दरवाजा रातों रात अपने आप बदल गया था. क्या है इसकी कहानी जानें.

अनोखा देव सूर्य मंदिर, औरंगाबाद, बिहार

नई दिल्ली: ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) से लेकर गुजरात के मोढ़ेरा स्थित सूर्य मंदिर (Modhera sun temple) और कश्मीर के अनंतनाग स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर (Martand Surya mandir) तक- देश भर में भगवान भास्कर के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां भक्तों का हर वक्त तांता लगा रहता है. सूर्य देव (Sun God) को प्रत्यक्ष देव कहा जाता है और ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने से जीवन में ऊर्जा, मानसिक शांति और सफलता मिलती है. आज बात करते हैं देश के एकमात्र ऐसे सूर्य मंदिर की जिसका मुख्य दरवाजा सूर्य के उगने की दिशा पूरब में न होकर पश्चिम में है (Main gate is in west).

  1. बिहार के औरंगाबाद में है ये प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर
  2. इस मंदिर में सूर्य देव की तीन रूपी प्रतिमा स्थापित है
  3. मंदिर का दरवाजा रातों रात पूर्व से पश्चिम हो गया था

औरंगाबाद में है अनोखा देव सूर्य मंदिर

बिहार के औरंगाबाद जिले में है यह बेहद प्रसिद्ध और अनोखा सूर्य मंदिर जिसका नाम देव सूर्य मंदिर (Deo surya mandir), देवार्क सूर्य मंदिर या देवार्क है. भगवान सूर्य को समर्पित यह मंदिर कई मायनों में बेहद खास है और इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भीं हैं जिन्हें सुनने के बाद आपको शायद उन कथाओं पर सहसा यकीन भी नहीं होगा. ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर त्रेता युग (Treta yuga) में बना था और कहा जाता है कि इस मंदिर का मुख्य द्वार अचानक ही रातों रात पश्चिम दिशा में मुड़ गया था. 

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मंदिर में सूर्य देव की तीन रूपी प्रतिमा है

इस मंदिर में सूर्य देव की तीन रूपी प्रतिमा (Three forms of sun god) सात रथों पर सवार है. इसमें उनके तीनों रूपों उदयाचल- यानी प्रात:काल के उदित हो रहे सूर्य, मध्याचल- दिन के समय के मध्य सूर्य और अस्ताचल- यानी अस्त हो रहे सूर्य का रूप विद्यमान है. देश भर में देव सूर्य मंदिर ही एक मात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका मुख्य द्वार पूर्व की ओर न होकर पश्चिम की ओर है. मान्यता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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मंदिर के द्वार से जुड़ी कथा

ऐसा कहा जाता है कि जब औरंगजेब देव सूर्य मंदिर को तोड़ने आया तो स्थानीय लोग और वहां के पुजारी मंदिर के बाहर एकत्र हो गए और उससे मंदिर न तोड़ने का आग्रह किया लेकिन वह नहीं माना और कहने लगा कि अगर तुम्हारे देवता का ये मुख्य द्वार रात भर में पूर्व से पश्चिम हो जाए तो वह मंदिर नहीं तोड़ेगा. लोग कहते हैं कि अगले दिन सुबह मंदिर का द्वार पश्चिम की तरफ मुड़ चुका था. इसके बाद औरंगजेब ने देव सूर्य मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. हर साल इस मंदिर में छठ के समय बहुत बड़ा मेला लगता है.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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