मथुरा-वृंदावन ही नहीं इस जगह पर भी रहती है Janmashtami की धूम, श्रीकृष्‍ण की है ससुराल
Advertisement
trendingNow1974948

मथुरा-वृंदावन ही नहीं इस जगह पर भी रहती है Janmashtami की धूम, श्रीकृष्‍ण की है ससुराल

भगवान श्रीकृष्‍ण की ससुराल (Lord Shri Krishna's Sasural) का नाम पहले कुंदनपुर था लेकिन जब श्रीकृष्ण ने देवी रुक्‍मणी (Devi Rukmani) का हरण किया तो उनके साले रुकुम ने गुस्‍से में कई लोगों को हाथियों से कुचलवा दिया था. उसके बाद इसका नाम कुदरकोट पड़ गया.

भगवान श्रीकृष्‍ण और उनकी पत्‍नी देवी रुक्‍मणी.

नई दिल्‍ली: भगवान श्रीकृष्‍ण (Lord Shri Krishna) का जिक्र आते ही जेहन में सबसे पहले मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) के नाम आ जाते हैं. भगवान कृष्‍ण का द्वारका, हस्तिनापुर, कुरुक्षेत्र के साथ भी बहुत जुड़ाव रहा है लेकिन उनकी जिंदगी से जुड़ी एक और अहम जगह के बारे में कम ही लोग जानते हैं. यह जगह है उनकी ससुराल कुदरकोट (Kudarkot). इस शहर का नाम पहले कुंदनपुर था जो बाद में कुदरकोट से जाना जाने लगा, इसके पीछे भी भगवान श्रीकृष्‍ण से जुड़ी एक अहम वजह है. 

  1. उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में है श्रीकृष्‍ण की ससुराल 
  2. पूरा गांव धूमधाम से मनाता है दामाद का जन्‍मोत्‍सव 
  3. भगवान श्रीकृष्‍ण ने किया था देवी रुक्‍मणी का हरण  

पत्‍नी देवी रुक्‍मणी का किया था हरण 

श्रीकृष्‍ण की बाकी लीलाओं की तरह उनका विवाह भी बेहद अलग तरीके से हुआ था. वे अपनी पत्‍नी देवी रुक्‍मणी (Devi Rukmini) का उनके नगर से हरण करके लाए थे. धर्म-पुराणों के मुताबिक द्वापर युग में उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के कुदरकोट कस्बे को कुंदनपुर के नाम से जानते थे. यह देवी रुक्‍मणी के पिता राजा भीष्‍मक के राज्‍य की राजधानी थी. 

राजा भीष्‍मक अपनी बेटी का विवाह श्रीकृष्‍ण से करना चाहते थे लेकिन रुक्‍मणी के भाई रुकुम ने अपने साले शिशुपाल से उनका विवाह तय कर दिया. तब श्रीकृष्‍ण ने देवी रुक्‍मणी का उस मंदिर से हरण कर लिया, जहां वे रोजाना गौरी माता की पूजा करने के लिए जाती थीं. श्रीकृष्‍ण जैसे ही देवी रुक्‍मणी का मंदिर से हरण करके ले गए, मंदिर से माता गौरी की मूर्ति भी गायब हो गई. लिहाजा इस मंदिर को आलोपा देवी मंदिर कहते हैं. 

यह भी पढ़ें: Janmashtami 2021: बेहद खास था Lord Krishna के जन्‍म का समय, आधी रात में पैदा होने के थे कई कारण

...इसलिए बदला कुंदनपुर का नाम 
 
जब देवी रुक्‍मणी के भाई को उनके हरण की खबर लगी तो वह क्रोधित हो गए और उन्‍होंने मंदिर में साथ गए सिपाहियों को हाथियों से कुचल डाला. तब से ही इसका नाम कुंदनपुर से बदल कर कुदरकोट हो गया. मथुरा-वृंदावन की तरह कुदरकोट में भी जन्‍माष्‍टमी (Janmashtami) बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. पूरा कस्‍बा अपने दामाद का जन्‍मोत्‍सव मनाता है. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news