Varalakshmi Vrat: इस दिन पड़ रहा है वरलक्ष्मी व्रत, रखें उपवास तो गरीबी होगी दूर; सौभाग्य की होगी प्राप्ति
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Varalakshmi Vrat: इस दिन पड़ रहा है वरलक्ष्मी व्रत, रखें उपवास तो गरीबी होगी दूर; सौभाग्य की होगी प्राप्ति

Varalakshmi Vrat 2022: इस बार वरलक्ष्मी व्रत 12 अगस्त को पड़ रहा है. यह व्रत मां वरलक्ष्मी को समर्पित होता है. क्या है वरलक्ष्मी व्रत और क्या है इसका महत्व, इसको रखने से क्या फायदा होता है, आइए जानते हैं.

 

Varalakshmi Vrat: इस दिन पड़ रहा है वरलक्ष्मी व्रत, रखें उपवास तो गरीबी होगी दूर; सौभाग्य की होगी प्राप्ति

Varalakshmi Vrat Importance: सावन महीना खत्म होने की कगार पर है. ऐसे में सावन का आखिरी शुक्रवार काफी अहम माना जाता है. यह दिन मां वरलक्ष्मी का माना जाता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं और पुरुष व्रत करते हैं, जिससे उनको सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इ्ंसान की जिंदगी से गरीबी दूर होती है. इस बार वरलक्ष्मी व्रत 12 अगस्त को पड़ रहा है. ऐसे में व्रत के महत्व से लेकर खास बातें आपको बताने जा रहे हैं.

ये है पूजा का मुहूर्त

इस बार वरलक्ष्मी व्रत सावन मास की पूर्णिमा को पड़ रहा है. दो संयोग एक साथ बनने से इस बार वरलक्ष्मी व्रत का संयोग भी बढ़ गया है. इस दिन सुबह 11 बजकर 34 मिनट तक सौभाग्य योग है और उसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा. पूजा के हिसाब से शुभ समय सुबह 6 बजकर 14 मिनट से 8 बजकर 32 मिटन तक है. इसके बाद दोपहर में 1 बजकर 7 मिनट से 3 बजकर 26 मिनट तक और शाम 7 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 40 मिनट तक है. .

लंबे समय तक मिलता है पुण्य

वरलक्ष्मी व्रत को तो वैसे अधिकतर पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में इसकी विशेष मान्यता है. इस व्रत को केवल शादीशुदा लोग ही रख सकते हैं. इस व्रत को अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान पुण्यदायी माना गया है. इस व्रत को रखने से गरीबी दूर हो जाती है और परिवार में सौभाग्य, सुख और संतान सबकुछ प्राप्त होता है. इस व्रत का पुण्य लंबे समय तक बना रहता है और इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी मिलता है.

इस तरह करें पूजा

अगर आप पहली बार वरलक्ष्मी व्रत रखने जा रहे हैं तो इसकी खास और अहम बातें आपको बताते हैं. सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. पूजा के लिए एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की प्रतिमा रखें. इसके बाद कुमकुम, चंदन, इत्र, धूप, वस्त्र, कलावा, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें. भगवान गणेश के सामने घी और माता के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद गणपति का नाम लें और उनके मंत्र का जाप करें, फिर मां वरलक्ष्मी की पूजा शुरू करें. इसके बाद मां लक्ष्मी के मंत्र का कमलगट्टे या स्फटिक की माला से जाप करें. वरलक्ष्मी व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 
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