Braj Ki Holi: ब्रज में होली का महोत्सव शुरू हो चुका है. वृंदावन स्थित रघुनाथ भट्ट जी की प्राचीन हवेली में 16 वीं सदी से रंगोत्सव की विशेष परंपरा चल रही है. जहां ठाकुर जी भट्ट परिवार अपने हाथों से बनी गुलाल से होली खेलते हैं.
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रघुनाथ भट्ट गोस्वामी की हवेली: ब्रज की होली पूरी दुनिया में मशहूर है. बसंती पंचमी से रंग पचंमी तक ब्रजमंडल के विभिन्न मंदिरों की रौनक और श्रद्धालुओं की भीड़ विशेष रहती है. यहां के सभी मंदिरों में होली के कई दिन पहले से ही विशेष सजावट की जाती है. 40 दिन की होली परंपरा के तहत ठाकुर जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है, उन्हें ऋतु अनुसार भोग लगाया जाता है. आज हम वृंदावन के एक ऐसे प्राचीन स्थल की बात करते हैं जहां 16 वीं सदी से रंगोत्सव की परंपरा चली आ रही है. ये जगह है वृंदावन की भट्ट जी की हवेली. यह हवेली, प्रमुख 6 गोस्वामियों में से एक रघुनाथ भट्ट जी का प्राचीन स्थान है.
भट्ट जी की 16 वीं पीढ़ी
रंगोत्सव की यह परंपरा अब भट्ट जी की 16वीं पीढ़ी निभा रही है. भट्ट जी की हवेली में विराजमान ठाकुर मदनमोहन लाल महाराज के लिए रोजाना होली खेलने का इंतजाम किया जाता है. बसंत पंचमी से शुरू होने वाले होलिकात्सव से ही यहां रोजाना ठाकुर जी के लिए हाथ से गुलाल बनाई जाती है. भट्ट परिवार के सदस्य ठाकुर जी के लिए हाथ से गुलाल बनाते हैं और ठाकुर जी को अर्पित करते हैं. इसी से ठाकुर जी रोजाना होली खेलते हैं.
रंगों के साथ कला का संगम
रंगोत्सव मनाने के साथ-साथ भट्ट जी की हवेली में इस मौके पर कला का भी पूरा प्रदर्शन किया जाता है. यहां दोपहर को 2 बजे से 4 बजे तक भट्ट परिवार के द्वारा समाज गायन भी किया जाता है. इसमें राम सारंग, कानरी, मालव, बिलावल, देव गंधार, राग आसावरी, राग गौरी, काफी एवं वसंत राग में होली का गायन किया जाता है. इस दौरान जो भाव समाज गायन में आता है उसी भाव के खेल ठाकुरजी को खिलाए जाते हैं.
गुलाल की चुटकियों से बनाते हैं पर्दा
होली के पर्व पर ठाकुरजी की पिछवाई यानी पीछे का पर्दा भी खास होता है. इसके लिए सफेद रंग की पिछवाई पर भट्ट परिवार के सदस्य हाथ से गुलाल की चुटकियों के जरिए विभिन्न प्रकार के चित्र बनाते हैं. जैसे- खेल घाट, कमल से फूल, पत्ती, कुंज यमुना घाट आदि.
बता दें कि रघुनाथ भट्ट गोस्वामी का जन्म पूर्वी बंगाल में एक भक्त परिवार में हुआ था. उनके पिता तपन मिश्रा एक कट्टर वैष्णव थे और कभी-कभी चैतन्य महाप्रभु को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करते थे. जब चैतन्य महाप्रभु श्री तपन मिश्रा के घर जाते थे, तो रघुनाथ भट्ट अक्सर उनके पैरों की मालिश करते थे. समय के साथ रघुनाथ जी शास्त्रों में पारंगत हो गए और फिर वे चैतन्य महाप्रभु के साथ काफी समय तक रहे. बाद में वह अधिकारिक तौर पर 6 गोस्वामी समूह का हिस्सा बन गए. वृंदावन में रघुनाथ भट्ट जी के उत्तराधिकारी उनकी पादुका की पूजा करते हैं.