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Bhishma Vachan: विराट नगर में गायों को चुराने पर कौरव सेना के सामने मत्स्य नरेश के युवराज उत्तर के साथ अर्जुन पहुंचे तो युद्ध शुरू हो गया. अर्जुन ने इस युद्ध में सबसे पहले कर्ण को पराजित कर दिया. इसके बाद अर्जुन ने पितामह भीष्म का रथ देखा तो उनकी ओर ही बढ़ चले. इस पर शांतुन नंदन भीष्म ने बाणों की बौछार से अर्जुन को आगे बढ़ने से ही रोक दिया. फिर तो अर्जुन ने ऐसी बाण वर्षा की कि भीष्म के रथ की ध्वजा जड़ से कट कर नीचे भूमि पर गिर गई. इसी समय दुर्योधन के भाई दुशासन, विकर्ण दुसह और विविंशति ने अर्जुन को घेर लिया किंतु अर्जुन ने एक-एक कर सबको जान बचाने को मजबूर कर दिया और वह सभी भाग गए.
कौरव योद्धाओं के बाणों से बुरी तरह घायल हुए अर्जुन
अर्जुन युद्ध भूमि में चारो तरफ घूमने लगे, उनके बाणों की वर्षा से कौरव सेना के सैनिक घायल या मृत होकर जमीन पर लोटने लगे. इस दृश्य को देखकर दुर्योधन, कर्ण, दुशासन, विविंशति, द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृपाचार्य आदि क्रोध से भर उठे और उसे मार डालने की इच्छा से फिर से लौट आए और सब मिल कर बाण चलाने लगे. उनके दिव्यास्त्रों के चलने से अर्जुन के शरीर में दो अंगुल स्थान भी न बचा जहां बाण न लगे हों. ऐसी अवस्था में भी अर्जुन ने हंसते हुए अपने धनुष गांडीव पर ऐन्द्र अस्त्र चलाया जिससे युद्ध क्षेत्र में दसों दिशाएं ही बाणों से भर गईं और कौरव महारथियों का उत्साह ठंडा पड़ गया. सभी योद्धा निराश हो कर इधर उधर भागने लगे.
भीष्म ने धावा बोल अर्जुन की ध्वजा के वानरों को चोट पहुंचाई
यह देख भीष्म पितामह ने सबका हौसला बढ़ाने के लिए अर्जुन पर धावा बोला. उन्होंने अर्जुन की ध्वजा पर फुफकारते हुए सर्पों के आठ बाण मारे. उससे ध्वजा पर स्थित वानरों को चोट पहुंची और आगे की तरफ रहने वाले भूत भी घायल हो गए. इस पर तो अर्जुन को भी क्रोध आ गया और उसने एक बहुत बड़े भाले से पितामह के छत्र को ही काट डाला. छत्र कटते ही भूमि पर गिर कर लोटने लगा. साथ ही उसने भीष्म की ध्वजा पर भी बाणों से आघात कर शीघ्रता पूर्वक उनके घोड़ों, पीछे चलने वाले रक्षकों और सारथी को भी घायल कर दिया.