आखिर क्‍यों वेश्‍याओं के घर के बाहर की मिट्टी के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा? सिर झुकाकर करनी पड़ती है मांग
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आखिर क्‍यों वेश्‍याओं के घर के बाहर की मिट्टी के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा? सिर झुकाकर करनी पड़ती है मांग

Durga Puja Mitti: बंगाल के दुर्गा पूजा महोत्‍सव के लिए कोलकाता के सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स ने इस साल दुर्गा पूजा पर अपनी चौखट की मिट्टी देने से इंकार कर दिया है. आखिर क्‍या वजह है कि वेश्‍याओं के घर के बाहर की मिट्टी के बिना दुर्गा पूजा अधूरी मानी जाती है. 

आखिर क्‍यों वेश्‍याओं के घर के बाहर की मिट्टी के बिना अधूरी है दुर्गा पूजा? सिर झुकाकर करनी पड़ती है मांग
Durga Puja in Kolkata: बंगाल की दुर्गा पूजा दुनिया भर में मशहूर है. इसके लिए कई दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. कोलकाता में दुर्गा पूजा को लेकर इस बार विवाद की स्थिति बन रही है. दरअसल, मां दुर्गा की मूर्ति बनाने में कई जगह से मिट्टी ली जाती है. इसमें वेश्‍याओं के घर के बाहर की मिट्टी भी शामिल होती है. लेकिन इस कोलकाता की सेक्‍स वर्कर्स ने दुर्गा पूजा के लिए मिट्टी देने से इंकार कर दिया है. इसके पीछे वजह है हाल ही में कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्‍टर के साथ हुए रेप और क्रूर हत्‍या से उपजा आक्रोश है. इसके चलते एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट एरिया कोलकाता के सोनागाछी की सेक्‍स वर्कर्स ने दुर्गा पूजा से जुड़ी सदियों पुरानी परंपरा को निभाने से इनकार कर दिया है. आइए कोलकाता के ज्‍योतिषाचार्य पंडित प्रोसेनजीत घोष से जानते हैं कि आखिर वेश्‍याओं के घर की मिट्टी इतनी खास क्‍यों होती है, जिसके कारण दुर्गा प्रतिमा बनाने में इसका इस्‍तेमाल करना अहम होता है. 
 
 
वेश्‍याओं के घर के बाहर अपने पुण्‍य छोड़ जाते हैं लोग 
 
दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि जो व्‍यक्ति वेश्‍या के घर के अंदर जाता है, वह अपने पुण्‍य दरवाजे के बाहर ही छोड़ जाता है. इसलिए वेश्‍या के घर के बाहर की मिट्टी में कई लोगों के पुण्‍य होते हैं, जिसके कारण यह बहुत पवित्र होती है. इसलिए दुर्गा पूजा के लिए मां दुर्गा की मूर्ति बनाते समय कई अन्‍य पवित्र जगहों की मिट्टी के साथ-साथ वेश्‍याओं के घर के बाहर की मिट्टी जरूर ली जाती है. 
 
 
...इसलिए बाहर छूट जाते हैं पुण्‍य 
 
चूंकि पत्‍नी को घर की लक्ष्‍मी का रूप कहा गया है, और जब व्‍यक्ति उसे छोड़कर वेश्‍या या अन्‍य स्‍त्री के पास जाता है तो उसके सारे पुण्‍य पीछे छूट जाते हैं. इसलिए वेश्‍या के घर के बाहर की मिट्टी में ऐसे लोगों के पुण्‍य जमा हो जाते हैं, जिससे वह मिट्टी पवित्र हो जाती है. 
 
 
सिर झुकाकर मांगनी पड़ती है मांग 
 
ज्‍योतिषाचार्य पंडित प्रोसेनजीत घोष बताते हैं कि इस मिट्टी को लेने के लिए जब पुजारी वेश्‍याओं के दर पर जाते हैं तो उन्‍हें मिट्टी लेने की अनुमति मांगनी पड़ती हैं. तब ही सेक्‍स वर्कर्स उन्‍हें यह मिट्टी लेने देती हैं. यानी कि सामाजिक दृष्टि से देखें तो पूरे साल जिन सेक्‍स वर्कर्स को लोग अपमान की नजर से देखते हैं, साल में एक बार उन्‍हें सम्‍मान देकर ही शक्ति की पूजा का पर्व मनाया जा सकता है. यह संदेश है कि भगवान ने उन्‍हें भी नारी शक्ति के तौर पर बराबरी का दर्जा दिया.  
 
सबसे बड़ा पाप है अपने पार्टनर को चीट करना 
 
वहीं ज्‍योतिष की नजर से देखें तो भी इसका एक खास कनेक्‍शन निकलता है. ज्‍योतिष में सभी पापों में एक पाप को सबसे घृणित माना गया है, वह है नारी का अपमान या उसका शोषण. यह पाप करने वाले को सबसे ज्‍यादा सजा मिलती है. जो पुरुष या महिला अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए उसे छोड़कर दूसरे के पास जाती है तो वह बड़े पाप का भागीदार बनता है. 
 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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