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नई दिल्ली: शनिवार का दिन हनुमान जी के साथ ही शनिदेव का भी दिन माना जाता ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन शनिवार के दिन आपने बहुत से लोगों को पीपल के पेड़ (Peepal Tree) की पूजा करते हुए भी देखा होगा. इस दिन शाम के समय लोग पीपल के पेड़ के पास दीया जलाकर उसकी परिक्रमा करते हैं. क्या आप जानते हैं कि इसका कारण क्या है? शास्त्रों की मानें तो पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है इसलिए पीपल को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है. श्रीमद्भगवदगीता (Bhagwad Geeta) में कहा गया है कि पीपल के पेड़ की जड़ में ब्रह्मा जी (Lord Brahma), मध्य में विष्णु भगवान (Lord Vishnu) और अग्र भाग यानी आगे की तरफ शिव जी (Lord Shiva) विराजमान हैं.
ज्योतिष शास्त्र (Jyotish) की मानें तो जिन लोगों की कुंडली (Kundli) में शनिदोष होता है उन्हें शनिवार के दिन शनि मंदिर में तेल चढ़ाने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने का सुझाव दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनिदेव (Shanidev) प्रसन्न हो जाते हैं सभी तरह के दुष्प्रभाव, दोष और समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के कुप्रभाव से बचने के लिए भी हर शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार इसकी परिक्रमा करनी चाहिए क्योंकि भगवान कृष्ण के अनुसार शनि की छाया पीपल के वृक्ष पर रहती है.
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एक समय स्वर्ग पर असुरों का राज था. कैटभ नाम का राक्षस पीपल वृक्ष का रूप धारण करके यज्ञ को नष्ट कर देता था. जब भी कोई ब्राह्मण पीपल के वृक्षों की टहनियां तोड़ने वृक्षों के पास जाता तो यह राक्षस उसे खा जाता. ऋषिगण समझ ही नहीं पा रहे थे कि ब्राह्मण कुमार कैसे गायब होते चले जा रहे हैं. सभी ऋषिगण मिलकर शनि देव के पास सहायता मांगने पहुंचे. शनिदेव ब्राह्मण बनकर पीपल के वृक्ष के पास गए. कैटभ ने शनिदेव को पकड़ लिया. इसके बाद शनि और कैटभ में युद्ध हुआ. शनिदेव ने कैटभ का वध कर दिया. ऋषियों ने शनि की पूजा अर्चना की. शनिदेव ने ऋषियों को कहा कि आप सभी बिना किसी भय के शनिवार के दिन पीपल की पूजा करें इससे शनि की पीड़ा से मुक्त हो जाएंगे. तभी से हर शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा की जाने लगी.
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