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नई दिल्ली: खगोलीय दुनिया में रुचि रखने वाले लोगों को जल्द ही एक अच्छी घटना का गवाह बनने का मौका मिलने जा रहा है. आने वाली 28 जुलाई की रात को आसमान (Sky) में एक दुर्लभ नजारा (Rare Sight) बिना किसी दूरबीन आदि के देखा जा सकेगा. इस रात को उल्काओं की एक नहीं बल्कि दो बौछारें एक साथ आसमान को अपनी रोशनी से जगमगा देंगी.
आमतौर पर उल्कापात (Meteor Shower) के समय में अंतर रहता है लेकिन इस बार 2 उल्कापात एक ही समय में होंगे. दक्षिणी डेल्टा एक्वेरिड्स और अल्फा कैप्रिकॉर्न्स नाम के उल्कापात इन दिनों सक्रिय हैं और वही 28 जुलाई की रात को आसमान को रोशन करेंगे. हालांकि 28 जुलाई की रात को चंद्रमा (Moon) अपनी 75 फीसदी रोशनी के साथ आसमान में आएगा. फिर भी यदि आसमान साफ रहा तो उल्कापात का यह नजारा शानदार होगा. खास बात यह भी है कि साल का सबसे ज्यादा आकर्षक माना जाने वाला परसीड उल्कापात भी 17 जुलाई से शुरू हो चुका है.
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अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि यह उल्कापात 26 अगस्त तक चलेगा और 11 अगस्त की रात को पीक पर होगा. चूंकि उस समय चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही दिखाई देगा और उसकी रोशनी भी कम होगी, लिहाजा उल्कापात का नजारा बहुत स्पष्ट नजर आएगा.
उल्काएं अंतरिक्ष की वो चट्टानें हैं जो तेजी से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं और जमीन की ओर आते समय घर्षण के कारण आग का गोला बन जाती हैं. वैसे तो अधिकांश उल्काएं जमीन के पास आने से पहले ही वायुमंडल में जल जाती हैं, लेकिन कुछ उल्काएं जलने के बाद भी बच जाती हैं और फिर वे उल्कापिंड के तौर पर जमीन से टकराती हैं. ये उल्काएं टूटते तारे की तरह नजर आती हैं. जब कई सारी उल्काएं एक साथ गिरती हैं तो इसे उल्कापात कहते हैं.