नई दिल्ली: बैंक ऑफ इंग्‍लैंड (Bank Of England) ने पिछले दिनों 50 पाउंड (50 Pound) का एक नया नोट जारी किया है. इस नोट पर महान ब्रिटिश गणितज्ञ एलेन ट्यूरिंग (Alan Turing) की फोटो छपी (Alan Turing Face Of 50 Pound) है. आपको बता दें कि एलेन ट्यूरिंग वो ब्रिटिश वैज्ञानिक हैं जिनकी कोडिंग की वजह से ही ब्रिटेन को द्वितीय विश्‍व युद्ध में जीत हासिल हुई थी. लेकिन उनकी मौत काफी विवादित रही है. बताया जाता है कि वो एक समलैंगिक थे और अपने पार्टनर के साथ सेक्‍स करने के आरोप में उन्‍होंने आत्‍महत्‍या कर ली थी.


भारत में भी रहे मशहूर


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एलेन ट्यूरिंग एक ऐसा नाम है जो अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा भारत में भी मशहूर है. टूरिंग को एक बेहद शर्मीला और मजाकिया गणितज्ञ माना जाता था. साइंस मैगजीन नेचर ने उन्‍हें ‘मानव, मशीन और मिलिट्री फील्‍ड का 'बेस्‍ट माइंड' करार दिया है.


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कभी ब्रिटेन ने किया था अपमान


आज भले ही इतने सालों बाद एलेन ट्यूरिंग की फोटो पाउंड पर छप रही हो और बैंक ऑफ इंग्‍लैंड उन्‍हें सम्‍मानित कर रहा हो, लेकिन कुछ साल पहले तक उनके साथ गलत बर्ताव होता था. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने 2009 में ये स्वीकार किया था कि एलन के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया था.


सायनाइड खाकर की आत्‍महत्‍या


गौरतलब है कि एलेन ट्यूरिंग का जन्‍म 23 जून 1912 को लंदन में हुआ था और सिर्फ 41 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई थी. बताते हैं कि एलन ने सायनाइड की गोली खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. ब्रिटेन के कानून ने सन् 1952 में गणितज्ञ एलन को अश्लीलता का दोषी करार दिया था. यहां तक कि उन्‍हें दवा देकर नपुंसक तक बनाए जाने की सजा सुनाई गई थी. एलन समलैंगिक थे और उस समय ब्रिटेन में समलैंकिता गैर-कानूनी थी. वहां के लोग इसे लोग इसे पाप समझते थे.


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बहुत कम उम्र मे कह गए अलविदा 


एलेन ट्यूरिंग बहुत कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए थे मगर छोटी सी उमर में उन्होंने जो किया वो आज भी उन्हें जिंदा रखता है. एलेन ने मॉर्डन कंप्‍यूटर की नींव रखी. इसके अलावा आर्टिफिशियल माइंड के लिए स्‍टैंडर्ड तय किए और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी की सेना की पनडुब्बियों का कोड तोड़कर लाखों लोगों की जान बचाई थी.


एक सोच और कानून ने लेली जान


आपको बता दें कि सन् 1936 में एलेन ट्यूरिंग ने युनिवर्सल ट्यूरिंग मशीन (Universal Turing Machine) बनाने के लिए एक पेपर पब्लिश किया था. इसे मॉर्डन कंप्‍यूटर का ब्रेन कहा जाता है. आज के कंप्यूटर की तरह एलेन ट्यूरिंग उस जमाने में ऐसी मशीन बनाने की कोशिश में लगे थे जिसमें एक बार आंकड़ें फीड किए जाने के बाद कई तरह के काम लिए जा सकें. लेकिन एक सोच और कानून ने एलेन की जान ले ली.


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जर्मन पनडुब्बी का सीक्रेट मैसेज डिकोड


द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एलेन ट्यूरिंग ने कोड को भी डिकोड कर डाला था और यह किसी महान काम से नहीं था. दुनिया कुछ साल पहले तक जानती ही नहीं थी कि अटलांटिक महासागर में तैनात जर्मन पनडुब्बी का सीक्रेट मैसेज डिकोड करने वाले एलन ही थे. इतना ही नहीं गणितज्ञ कोपलैंड ने ट्यूरिंग पर कई किताबें लिखी हैं.


आर्टिफिशियल ब्रेन डेवलपर


इनकी महानता यही समाप्त नहीं होती है. आपको बता दें कि एलेन ट्यूरिंग ही वह पहले शख्‍स थे जिन्होंने मशीन का ऐसा आर्टिफिशियल ब्रेन डेवलप किया था जो बिल्‍कुल किसी इंसान की तरह ही रिएक्‍शन दे सकता था. मगर अफसोस ही है कि इतनी उपलब्धियों और महानता के बाद भी एलेन ट्यूरिंग के काम और उनके नाम के बारे में दुनिया को उनकी मौत के बाद पता चल सका था. 


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