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नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा है कि इंसानी शरीर भी सांप जैसा जहर पैदा कर सकता है? ये सुन कर आपको आश्चर्य जरूर हो रहा होगा लेकिन ये फैक्ट है. इंसान के शरीर में एक ऐसा 'टूल किट' (Took Kit) होता है जिससे वह जहर पैदा कर सकता है. जापान के वैज्ञानिकों ने ये खुलासा किया है. इनके अनुसार इंसान ही नहीं कई और स्तनधारी जीव यानी मैमल्स भी जहर पैदा कर सकते हैं. बस उनके शरीर का वो हिस्सा जरूरत के हिसाब से विकसित होता है. यानी इस जीव को जहर की जरूरत है या नहीं.
जापान के वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान किसी भी समय दुनिया के सबसे जहरीले सांप रैटल स्नेक (Rattlesnake) और सबसे जहरीले स्तनधारी डकबिल (Duckbill) यानी प्लैटीपस (Platypus) जैसे खुद को समझ सकते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये इंसानों की फ्लैक्सिबल जीन्स की वजह से हुआ है. ये जीन्स सलाइवरी ग्लैंड्स (Salivary Glands) यानी लार ग्रंथियों को जहरीले और गैर-जहरीले जीवों के अनुसार विकसित करता है.
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जापान के ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Okinawa Institute of Science and Technology) में इस स्टडी के को राइटर और रिसर्चर अग्नीश बरूआ (Agneesh Barua) ने कहा कि एनिमल किंगडम में जीन्स के प्रभाव की वजह से लार ग्रंथियां 100 से ज्यादा बार विकसित हुई हैं या फिर जरूरत के हिसाब से बदली हैं.
Could humans ever be venomous? https://t.co/lw7XidDBuA pic.twitter.com/pcFYJIAl7j
— Live Science (@LiveScience) March 29, 2021
अग्नीश बरुआ का कहना कि इंसान भी उसी स्तर का जहर पैदा कर सकते हैं, बस जीन्स की वजह से उनकी लार ग्रंथियां उस तरह से विकसित हो जाएं. जुबानी जहर (Oral Venom) जंतु साम्राज्य में बेहद सामान्य बात है. ये अलग-अलग जीवों जैसे मकड़ी, सांप, घोंघे आदि में जरूरत के हिसाब से विकसित होते हैं.
अग्नीश कहते हैं कि स्लो लोरिस (Slow Loris) प्राइमेट्स बंदरों की श्रेणी का एकमात्र ऐसा जीव है जिसके मुंह में जहर की ग्रंथियां होती हैं. जीव विज्ञानी ये अच्छी तरह से जानते हैं कि जुबानी जहर लार ग्रंथियों के विकास का नतीजा है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया है कि इसके पीछे मॉलीक्यूलर मैकेनिक्स (Molecular Mechanics) काम करता है.
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ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी (Queensland University of Australia) के बायोकेमिस्ट और जहर विशेषज्ञ ब्रायन फ्राई (Biochemist and Poison Expert Brian Fry) का कहना है कि यह बेहद महत्वपूर्ण खुलासा है. नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के जहर शोधकर्ता रोनाल्ड जेनर ने कहा कि जहर में मौजूद विषाक्तता कई जीवों में एक जैसी होती है. जैसे- सेंटीपीड का जहर सांपों की कई प्रजातियों के जहर से मिलता है.
अग्नीश बरूआ कहते हैं कि विषाक्तता किसी के भी शरीर में कभी भी विकसित हो सकता है. ये कई जटिल रसायनिक पदार्थों का जटिल मिश्रण होता है. इस स्टडी को करने वाले दूसरे रिसर्चर एलेक्जेंडर मिखेयेव ने कहा कि इंसानों समेत कई जीवों में एक हाउसकीपिंग जीन्स होता है जो विषाक्त पदार्थ शरीर के अंदर बनाता है लेकिन ये जहर नहीं होता.
इस अध्ययन के मुताबिक, इंसान भी सांपों की तरह जहर पैदा कर सकते हैं इसे साबित करने के लिए वैज्ञानिकों ने ताइवान हाबू (Taiwan Habu) नाम के भूरे रंग के पिट वाइपर का अध्ययन किया. क्योंकि ये सांप ओकिनावा में आसानी से पाया जाता है. अग्नीश ने बताया कि हमने यह स्टडी की कि कौन सा जीन जहर पैदा करने के लिए जरूरी होता है.
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आपको जानकार हैरानी होगी कि वैज्ञानिकों की टीम को ऐसे कई जीन्स मिले जो जहर पैदा करने के जिम्मेदार होते हैं. ये जहर शरीर के अंदर मौजूद विभिन्न ऊतकों (Tissues) में पैदा होता है. इन ऊतकों से निकलने वाले केमिकल को अमीनोट्स (Aminotes) कहते हैं. इनमें से कई जीन्स ऐसे होते हैं जो फोल्डिंग प्रोटीन्स (Folding Proteins) बनाते हैं. इन्हीं फोल्डिंग प्रोटीन्स से ही बड़े पैमाने पर विषाक्त रसायन निकलता है.
हैरानी की बात ये हैं कि ऐसे कई हाउसकीपिंग जीन्स इंसानों की लार ग्रंथियों में भारी मात्रा में पाए गए हैं. जो काफी मात्रा में स्टिव प्रोटीन (Stew Protein) पैदा करते हैं. इस प्रोटीन का जेनेटिक निर्माण ये स्पष्ट बताता है कि ऐसे जीन्स दुनिया के कई जीवों में पाए जाते हैं. जो उनके शरीर में जहर बनाते हैं, लेकिन उनके अंदर विषाक्तता (Toxicity) नहीं होती.
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