साइंटिस्टों ने नासा द्वारा ली गईं मंगल ग्रह की तस्वीरों को जब गौर से देखा तो वह हैरान रह गए. इन तस्वीरों से उन्हें स्पष्ट हुआ कि वहां पत्थरों का मूवमेंट हो रहा है और यह तभी संभव है जब मंगल पर भी भूकंप जैसी घटनाएं घट रही हों.
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नई दिल्ली: आमतौर पर एक सामान्य आदमी मानता है कि पृथ्वी के अलावा कहीं कोई ग्रह नहीं है जहां कोई गतिशीलता होती हो. पृथ्वी पर ही प्राकृतिक गतिविधियां होती हैं, बाकी के ग्रह तो बंजर हैं.
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, ये बात तो अभी तक सही है कि अंतरिक्ष में ग्रहों में जीवन नहीं हो सकता लेकिन उनमें प्राकृतिक प्रक्रियाएं तो होती हैं. इसी का एक सबूत मंगल ग्रह से सामने आया है. लाल ग्रह में अब तक कोई ज्ञात जीवन नहीं है लेकिन इसमें भूकंपीय गतिविधि हैं. मंगल ग्रह पर आने वाले भूकंपों को 'मंगल भूकंप' कहा जाता है.
भारतीय वैज्ञानिकों ने अब मंगल की सतह पर अद्वितीय भूवैज्ञानिक हलचलें देखी हैं जो भूकंप के उदाहरणों की गवाही देती हैं. अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) के वैज्ञानिकों ने मंगल की सतह पर उछलते हुए बोल्डर के संकेत देखे हैं. वैज्ञानिकों ने 2006 और 2020 में नासा के मिशनों में ली गई मंगल की सतह की तस्वीरों का अध्ययन किया. लाल ग्रह की मिट्टी में एक अजीब सा पैटर्न देखा गया.
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जब कोई शिलाखंड मंगल पर गिरता है, तो वह प्रभाव के स्थान पर एक विशिष्ट वी-आकार का पैटर्न बनाता है और एक बाउंसिंग बोल्डर का मतलब है कि इन 'वी' की एक श्रृंखला सतह पर उन बिंदुओं पर स्केच की जाती है जहां बाउंसिंग बोल्डर संपर्क करता है. वी-आकार का चौड़ा हिस्सा ढलान की दिशा में बताता है.
पीआरएल के वैज्ञानिकों ने बाउंसिंग बोल्डर द्वारा बनाए गए 4500 से अधिक ऐसे ट्रैक देखे हैं. इन शिलाखंडों की गति को मंगल की भूकंपीय गतिविधि से जोड़ा गया है. इस तरह के जुड़ाव को इस तथ्य से मजबूत किया जाता है कि मंगल पर सेर्बरस फॉसे क्षेत्र में V शेप से बने ये ट्रैक अधिक संख्या में देखे गए हैं. यह क्षेत्र विशेष रूप से भूकंपीय रूप से सक्रिय हैं.
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