कभी पृथ्वी के चारों तरफ मौजूद था शनि जैसा छल्ला! धरती पर छिपे हुए गड्ढों में मिले सबूत
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कभी पृथ्वी के चारों तरफ मौजूद था शनि जैसा छल्ला! धरती पर छिपे हुए गड्ढों में मिले सबूत

Earth Had Ring Like Saturn: पिछले हफ्ते छपी एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि करोड़ों साल पहले, शायद पृथ्वी के चारों ओर एक छल्ला रहा होगा, काफी कुछ शनि की तरह.

कभी पृथ्वी के चारों तरफ मौजूद था शनि जैसा छल्ला! धरती पर छिपे हुए गड्ढों में मिले सबूत

Science News: शनि के छल्ले सौर मंडल की सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक चीजों में से एक है. पृथ्वी पर भी कभी ऐसा ही कुछ रहा होगा. ‘अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स’ में पिछले सप्ताह छपे एक शोध में, ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एंड्रयू टॉ‍मकिंस और उनके सहकर्मियों और मैंने यह सबूत दिया कि पृथ्वी के चारों ओर एक छल्ला रहा होगा. लगभग 46.6 करोड़ वर्ष पहले बना एक ऐसा छल्ला हमारे ग्रह के अतीत की कई पहेलियों को सुलझा सकता है.

पृथ्वी के प्राचीन गड्ढों से क्या पता चला?

लगभग 46.6 करोड़ वर्ष पहले बहुत सारे उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने लगे थे. हम यह जानते हैं क्योंकि भूवैज्ञानिक रूप से संक्षिप्त अवधि में इसके असर के कारण पृथ्वी पर कई गड्ढे बने. इसी अवधि में हमें यूरोप, रूस और चीन में चूना पत्थर के भंडार भी मिले जिनमें एक प्रकार के उल्कापिंड का बहुत ज्यादा मलबा था.

इन तलछटी चट्टानों में उल्कापिंड के मलबे का संकेत मिलता है कि वे आज गिरने वाले उल्कापिंडों की तुलना में बहुत कम समय के लिए अंतरिक्ष विकिरणों के संपर्क में थे. इस दौरान कई सुनामी भी आईं, जैसा कि अन्य असामान्य अव्यवस्थित तलछटी चट्टानों में देखा जा सकता है.

रिसर्चर्स का मानना है कि ये सभी विशेषताएं एक-दूसरे से संबंधित हैं लेकिन उन्हें आपस में क्या जोड़ता है? गड्ढों की प्रवृत्ति. हम उल्कापिंड के असर के कारण बने 21 गड्डों के बारे में जानते हैं. रिसर्चर्स देखना चाहते थे कि क्या उनके स्थान में कोई गौर करने वाली बात है. अतीत में पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के मॉडल का उपयोग करके उन्होंने यह पता लगाया कि जब ये सभी गड्डे पहली बार बने थे तो वे कहां थे.

उन्होंने पाया कि सभी गड्ढे उन महाद्वीपों पर हैं जो इस अवधि में भूमध्य रेखा के करीब थे और कोई भी गड्ढा ऐसे स्थानों पर नहीं है जो ध्रुवों के करीब थे. अत: सभी गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने. लेकिन क्या यह गड्ढों का एक उचित नमूना है?

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खैर, उन्होंने मापा कि उस समय किसी गड्ढे को संरक्षित करने के लिए भूमध्य रेखा के पास पृथ्वी की कितनी भूमि की सतह उपयुक्त थी. केवल करीब 30 प्रतिशत उपयुक्त भूमि भूमध्य रेखा के करीब थी जबकि 70 प्रतिशत उच्च अक्षांश पर थी. सामान्य परिस्थितियों में, पृथ्वी से टकराने वाले क्षुद्रग्रह यादृच्छिक रूप से किसी भी अक्षांश पर टकरा सकते हैं, जैसा कि हम चंद्रमा, मंगल और बुध पर बने गड्ढों में देखते हैं. इसलिए इसकी बहुत कम संभावना है कि इस अवधि के सभी 21 गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने होंगे यदि वे एक-दूसरे से असंबंधित होते.

वैज्ञानिकों को लगता है कि इन सभी सबूतों के लिए सबसे अच्छा स्पष्टीकरण यह है कि एक बड़ा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के साथ टकराने के दौरान टूट गया. कई दसियों लाख वर्षों में, क्षुद्रग्रह का मलबा पृथ्वी पर गिरा, जिससे क्रेटर, तलछट और सुनामी की प्रवृत्ति तैयार हुई, जिसका हमने ऊपर वर्णन किया है.

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ग्रहों के छल्ले कैसे बने?

आप जानते होंगे कि शनि छल्लों वाला एकमात्र ग्रह नहीं है. बृहस्पति, अरुण और वरुण में भी थोड़े छल्ले हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि मंगल ग्रह के छोटे चंद्रमा, फोबोस और डेमोस, एक प्राचीन छल्ले के अवशेष हो सकते हैं. जब कोई छोटा पिंड (क्षुद्रग्रह की तरह) किसी बड़े पिंड (ग्रह की तरह) के करीब से गुजरता है, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वह खिंच जाता है. यदि यह काफी करीब आ जाता है (रोश सीमा नामक दूरी के अंदर), तो छोटा पिंड कई छोटे टुकड़ों और कुछ बड़े टुकड़ों में टूट जाएगा. ये सभी टुकड़े धीरे-धीरे बड़े पिंड की भूमध्य रेखा की परिक्रमा करते हुए एक छल्ले में विकसित हो जाएंगे. समय के साथ छल्ले में मौजूद सामग्री बड़े हिस्सों पर गिरेगी, जहां बड़े टुकड़े गड्ढे बनाएंगे. ये गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब स्थित होंगे. (भाषा इनपुट्स)

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