धरती को मिलने वाला है दूसरा चांद! मिनी मून के आगमन से पहले वैज्ञानिकों में तहलका, अब क्या होगा?
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धरती को मिलने वाला है दूसरा चांद! मिनी मून के आगमन से पहले वैज्ञानिकों में तहलका, अब क्या होगा?

Mini Moon: अंतरिक्ष में हर रोज कुछ नया होता रहता है. पूरी दुनिया को पता है कि आसमान में सिर्फ एक चांद चमकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जल्द ही दुनिया को दो चांद दिखाई देने वाले हैं. आइए जानते हैं कि ऐसा चमत्कार क्यों होने वाला है.

धरती को मिलने वाला है दूसरा चांद! मिनी मून के आगमन से पहले वैज्ञानिकों में तहलका, अब क्या होगा?

Earth To Get Mini Moon: हमारा ब्रह्मांड रहस्यों से भरा पड़ा है, खासकर हमारा आसमान. आपने कभी सोचा है कि रात के अंधेरे में तारों के बीच क्या छिपा है? 29 सितंबर के बाद, रात का नज़ारा बिल्कुल बदल जाएगा! अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मुताबिक, हमारी रातें दो चांदों से जगमगा उठेंगी! ऐसा कैसे होगा और इसका हमारी धरती पर क्या असर पड़ेगा, आइए आपको बताते हैं. जिस चांद की बात हो रही है, उसे मिनी मून भी कहा जा रहा है. 

जल्द ही नया मेहमान मिलने वाला

असल में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मुताबिक, धरती को जल्द ही एक नया मेहमान मिलने वाला है. एक छोटा सा उल्कापिंड, जिसे वैज्ञानिक भाषा में एस्टेरॉयड 2024 PT5 कहते हैं, 29 सितंबर से 25 नवंबर तक हमारी धरती का चक्कर लगाएगा. ये होगा एक अनोखा नज़ारा, जब आसमान में चांद के साथ एक और चमकदार बिंदु दिखाई देगा. इस उल्कापिंड को ही मिनी मून कहा जा रहा है.

एस्टेरॉयड 2024 PT5 की खोज

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने 7 अगस्त को एक क्षुद्रग्रह, एस्टेरॉयड 2024 PT5 की खोज की है. यह क्षुद्रग्रह 29 सितंबर को धरती के इतना करीब आ जाएगा कि यह हमारे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण में फंस जाएगा और कुछ महीनों तक हमारे चांद की तरह धरती का चक्कर लगाएगा.

धरती का चक्कर लगाएगा लेकिन..

एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक इस एस्टेरॉयड का व्यास लगभग दस मीटर है. 29 सितंबर से 25 नवंबर तक यह धरती के गुरुत्वाकर्षण में रहेगा. इस दो महीने की अवधि के दौरान एस्टेरॉयड धरती का चक्कर लगाएगा. लेकिन यह धरती की एक परिक्रमा नहीं कर पाएगा. 25 नवंबर 2024 के बाद यह धरती के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल जाएगा 

यह क्षुद्रग्रह बहुत छोटा है, इसलिए हम इसे अपनी आंखों से नहीं देख पाएंगे. हमें इसे देखने के लिए बड़ी दूरबीनों की जरूरत होगी. वैज्ञानिकों के पास ऐसी दूरबीनें हैं. वैसे भी यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है. कुछ साल पहले भी ऐसा ही एक छोटा सा क्षुद्रग्रह धरती के पास से गुजरा था, उसे भी मिनी मून कहा गया था.

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