Cancer Research: कैंसर के बारे में कहा जाता है कि मरीजों की बात तो छोड़िये डॉक्टर भी पहचान करने में गच्चा खा जाते हैं. लेकिन एक शोध के मुताबिक बैक्टीरिया के जरिए लाइलाज बीमारी की पहचान की जा सकती है.
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Cancer Detection: कैंसर का नाम सुनते ही बड़े बड़े लोगों के होश उड़ जाते हैं. देश और दुनिया में कैंसर का इलाज जरूर होता है लेकिन उसका फायदा भी तब होता है जब बीमारी स्टेज वन में हो. इन सबके बीच कैंसर की वजहों को तलाश रहे शोधकर्ताओं ने अच्छी जानकारी दी है. एक ऐसे बैक्टीरिया के बारे में पता चला है कि लिविंग ऑर्गेनिज्म में कैंसर के सेल को डिटेक्ट कर सकते हैं. चूहों के कोलोन में कैंसर की पहचान से इंसानों के लिए भी उम्मीद जगी है.
बैक्टीरिया के जरिए पहचान
इससे पहले शोधकर्ताओं ने अलग अलग मेडिकल उद्देश्य के लिए बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया था. लेकिन यह पहली बार है जब विशिष्ट डीएनए सिक्वेंस और उसके म्यूटेशन के बारे में जानकारी मिली है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने इसे कैच नाम दिया है. सैन डिएगो के एक प्रोफेसर बताते हैं कि चार साल पहले जब इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई तो हम इस बात को लेकर भी आश्वस्त नहीं थे कि किसी मैमल डीएनए में कैंसर सेल की पहचान के लिए बैक्टीरिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके जरिए हम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और पैंक्रिएटिक गांठ के बारे में पता कर सकते हैं.
बायलाई बैक्टीरिया का इस्तेमाल
ट्यूमर अपने डीएनए को चारों तरफ फैलाने में सक्षम होते हैं.इन डीएनए को शुद्ध और उनका विश्लेषण किया जा सकता है.लेकिन ये कहां से आते हैं उसके बारे में जानकारी जुटा पाना आसान नहीं होता. लेकिन अब हम कैच के जरिए कैंसर की वजहों को जान और समझ सकते हैं. रॉब कूपर बताते हैं कि बहुत से बैक्टीरिया में यह क्षमता होती है कि वो इनवायरनमेंट से डीएनए ले सकते हैं. इसके लिए बायलाई बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया गया है.A.baylyi को उत्परिवर्तित KRAS जीन का पता लगाने के लिए CRISPR तकनीक का उपयोग करके इंजीनियर किया गया था जो कोलोरेक्टल कैंसर को बढ़ने में मदद करता है.