आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) के प्रवक्ता ने कहा, पान के पत्तों से तेल निकालने की मौजूदा प्रक्रिया खर्चीली और कम व्यवहारिक है. इसमें अपशिष्ट (Waste) भी ज्यादा निकलता है. इन चीजों के समाधान के लिए प्रोफेसर प्रशांत गुहा और IIT के रिसर्चर्स ने नई तकनीक विकसित की है.'
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कोलकाता: आईआईटी (IIT) खड़गपुर के अनुसंधानकर्ताओं ने पान के पत्तों से तेल को अलग करने के लिये एक नयी तकनीक विकसित की है, जिससे इस प्रक्रिया की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है. साथ ही अपशिष्ट में कमी आ सकती है. एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि इस उपकरण से मौजूदा तकनीक की तुलना में 30 प्रतिशत ऊर्जा बचाई जा सकती है और पान के पत्तों के तेल की मात्रा में 16 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है.
आईआईटी खड़गपुर के प्रवक्ता ने कहा कि पान के पत्तों से तेल निकालने की मौजूदा प्रक्रिया खर्चीली और कम व्यवहारिक है. वहीं इसमें अपशिष्ट (Waste) भी अधिक पैदा होता है. इस समस्या को हल करने के लिये प्रोफेसर प्रशांत गुहा और आईआईटी खड़गपुर के कृषि एवं खाद्य इंजीनियरिंग विभाग के अनुसंधानकर्ताओं के समूह ने यह तकनीक विकसित की है.
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गुहा ने कहा, 'पान की पत्तियां उगाने वालों के लिये ये उपकरण बेहद किफायती है क्योंकि 10 लीटर यूनिट वाले इस उपकरण को बनाने की कीमत सिर्फ 10 हजार जबकि 20 लीटर यूनिट वाले उपकरण की कीमत 20 हजार रुपये है.'
आईआईटी प्रवक्ता ने ये भी कहा, 'इस उपकरण को छोटे किसान भी आसानी से अपने पास रख सकते हैं. इसका इस्तेमाल कर एक व्यक्ति प्रतिदिन तीन पालियों में करीब 10 से 20 मिली लीटर आवश्यक तेल निकाल सकते हैं. तेल की कीमत गुणवत्ता के आधार पर 30 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक हो सकती है.'
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