ISRO satellite launch: खास बात है कि इस सैटेलाइट का एंटीना लगभग 64 वर्ग मीटर का होगा जो आधे फुटबॉल मैदान के आकार के बराबर है. यह करीब 6000 किलोग्राम वजनी होगा और इसे भारत के श्रीहरिकोटा से ISRO के LVM-3 रॉकेट के जरिए निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
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Satellite Based Mobile Calls: भारत की स्पेस तकनीक का लोहा वैसे तो पूरी दुनिया पहले ही मान चुकी है लेकिन अब भारत उससे भी आगे बढ़कर काम कर रहा है. इसी कड़ी में भारत फरवरी या मार्च में एक अमेरिकी संचार उपग्रह लॉन्च करने जा रहा है, जो सीधे अंतरिक्ष से मोबाइल फोन पर कॉल करने की सुविधा देगा. यह नई और आधुनिक तकनीक उपग्रह आधारित टेलीफोनी को और उन्नत बनाएगी. इससे पहले भारत ने केवल छोटे अमेरिकी उपग्रहों को लॉन्च किया है, लेकिन यह पहली बार है जब भारत एक विशाल अमेरिकी संचार उपग्रह को समर्पित रूप से लॉन्च करेगा.
AST SpaceMobile का सहयोग
दरअसल, इस मिशन में अमेरिका की टेक्सास स्थित कंपनी AST SpaceMobile अपनी प्रमुख भूमिका निभा रही है. यह कंपनी एक नई तकनीक के माध्यम से उपग्रहों को सीधे स्मार्टफोन से जोड़ने की योजना बना रही है. इसके लिए विशेष हैंडसेट की आवश्यकता नहीं होगी, जो इसे मौजूदा तकनीकों जैसे स्टारलिंक से अलग बनाता है.
64 वर्ग मीटर एंटीना वाला उपग्रह
इस उपग्रह का एंटीना लगभग 64 वर्ग मीटर का होगा, जो आधे फुटबॉल मैदान के आकार के बराबर है. यह उपग्रह करीब 6000 किलोग्राम वजनी होगा और इसे भारत के श्रीहरिकोटा से ISRO के LVM-3 रॉकेट (बाहुबली) के जरिए निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
वैश्विक कनेक्टिविटी का लक्ष्य
AST SpaceMobile का उद्देश्य है "ग्लोबल कनेक्टिविटी गैप" को खत्म करना. कंपनी का दावा है कि उनकी तकनीक के जरिए किसी भी स्मार्टफोन को सीधा इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवा मिलेगी. यह तकनीक उन क्षेत्रों में भी काम करेगी जहां पारंपरिक टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर विफल हो जाता है या उपलब्ध नहीं है.
ISRO के लिए बड़ी उपलब्धि
यह लॉन्च ISRO के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे अमेरिकी कंपनियों का भारत के रॉकेट और लॉन्च सिस्टम पर विश्वास बढ़ेगा. इससे पहले, LVM-3 ने दो बार OneWeb उपग्रह समूह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है. ISRO विशेषज्ञों का कहना है कि AST SpaceMobile के बड़े उपग्रहों की वजह से उन्हें छोटे उपग्रह समूहों की आवश्यकता नहीं होगी.
भारत की नई स्पेस इकोनॉमी
यह मिशन ISRO की व्यावसायिक शाखा, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), द्वारा संचालित किया जाएगा. यह पूरी तरह से एक व्यावसायिक लॉन्च है, जिसमें भारत केवल उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने का काम करेगा. यह ISRO के लिए विदेशी निवेश और वैश्विक तकनीकी सहयोग के द्वार खोलने वाला साबित हो सकता है. Photo: AI