बैरी आर्म ग्लेशियर (Barry Arm Gacier) पिघल रहा है. इसकी वजह से भयावह सुनामी (Tsunami) आ सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ज्यादातर ग्लेशियर पहाड़ों की ढलान पर लैंडस्लाइड (Landslide) तब होता है, जब ढलानों पर जमी बर्फ पिघलकर गिरने लगती है. लेकिन ज्यादा बड़ी मात्रा में बर्फ गिरती है तो सुनामी का खतरा बढ़ जाता है.
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नई दिल्ली: अलास्का (Alaska) में स्थित बैरी आर्म ग्लेशियर (Arm Glacier) पिघल रहा है यानी बर्फ के नीचे मिट्टी धीरे-धीरे खिसक रही है. इसकी वजह है वहां भारी वजन की बर्फ का होना. वैज्ञानिकों (Scientists) ने स्टडी के बाद बताया है कि यह ग्लेशियर कभी भी लैंडस्लाइड की वजह से टूट सकता है, जो जाकर सीधे समुद्र में गिरेगा.
इसकी वजह से भयावह सुनामी (Tsunami) आ सकती है. मालूम हो बैरी आर्म ग्लेशियर एक संकरे समुद्री रास्ते के ऊपर बना है. इसके दोनों तरफ ऊंचे बर्फ से लदे पहाड़ हैं. इसलिए यह स्थान सुनामी (Tsunami) पैदा करने के लिए उपयुक्त बन जाता है.
आ सकती है भयावह सुनामी
यहां पर अगर बर्फ ग्लेशियर (glacier)से लैंडस्लाइड (Landslide) हुई तो पानी का बहाव काफी तेज हो जाएगा जो सुनामी का भयावह रूप ले सकता है. इससे समुद्र के आस-पास रहने वाले लोगों के लिए खतरा है. ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के बायर पोलर एंड क्लाइमेट रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता (Researcher) चुनली दाई ने बताया है कि बैरी आर्म जोर्ड साल 2010 से 2017 के बीच 120 मीटर तक खिसक चुका है और अभी भी धीरे-धीरे आगे बढ़ती ही जा रहा है.
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अगर ये तेजी से टूट कर गिरते हैं तो इसका नतीजा बहुत ही खतरनाक हो सकता है.
पश्चिम ग्रीनलैंड में आ चुकी है ऐसी सुनामी
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ज्यादातर ग्लेशियर पहाड़ों की ढलान पर लैंडस्लाइड (Landslide) तब होता है, जब ढलानों पर जमी बर्फ पिघलकर गिरने लगती है. लेकिन ज्यादा बड़ी मात्रा में बर्फ गिरती है तो सुनामी का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी ही एक सुनामी (Tsunami) 2017 में पश्चिम ग्रीनलैंड में आ चुकी है, जिसके कारण से 4 लोगों की मौत हो गई थी. लाखों टन धूल, कीचड़ आस-पास के इलाकों में फैल गया था.
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अलास्का के बैरी आर्म ग्लेशियर (glacier)को देखने पर्यटक (Tourist) भी जाते रहते हैं. साथ ही वहां मछली पकड़ने वाले भी रहते हैं. ग्लेशियर के आसपास स्थानीय चुगैक समुदाय के लोग रहते हैं. इन समुदायों को खतरा हो सकता है.
जानें कैसे आती है सुनामी
वैज्ञानिकों ने बताया है कि 1954 से 2006 के बीच बैरी आर्म ग्लेशियर हर साल एक मीटर से कम पिघल रहा था. लेकिन 2006 के बाद पिघलने की स्पीड थोड़ी बढ़ गई इसके पिघलने की गति 40 मीटर प्रति वर्ष हो गई. साल 2010 से 2017 के बीच इसकी बढ़ने की स्पीड और भी तेज हो गई है. वैज्ञानिकों (Scientists) ने स्टडी मे पता लगाया है कि अगर ये ग्लेशियर में लैंडस्लाइड होता है तो इसकी चट्टानें समुद्र में गिरेगी.
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इन चट्टानों के समुद्र (Sea) में गिरने से हर सेकेंड 25 से 40 मीटर ऊंची लहर उठेगी. इस आकार और तीव्रता की लहर किसी भी बड़े क्रूज शिप, कार्गो जहाज, मछली पकड़ने वाले जहाज, कयाकर्स और आसपास के इलाके में तबाही मचाने के लिए काफी है.