धरती पर पानी कहां से आया इसे लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है. हाल में हुई एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कैसे सौर हवाओं के जरिए धरती पर पानी आया.
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नई दिल्ली: धरती पर पानी कहां से आया इसे लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है. हाल में हुई एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कैसे सौर हवाओं के जरिए धरती पर पानी आया. इस स्टडी से अंतरिक्ष में जीवन की खोज को लेकर नई उम्मीद जगी है.
स्टडी में उल्कापिंडों (Meteorites) और एस्टेरॉयड्स (Asteroids) के टुकड़ों पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया और पाया कि उल्कापिंड पानी से भरे हुए थे. पानी से भरे ये उल्कापिंड और एस्टेरॉयड्स धरती से टकराए, जिसकी वजह से धरती पर पानी टिक गया और बदलते मौसम से पानी की मात्रा को बढ़ने में मदद मिली.
इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के वैज्ञानिक ल्यूक डेली और उनकी टीम ने ये खुलासा किया है. ल्यूक डेली ने जापानी स्पेसक्राफ्ट हायाबूसा के लाए एस्टेरॉयड्स के टुकड़े की जांच की थी. ये टुकड़ा साल 2010 में वापस धरती पर आया था.
वैज्ञानिकों ने बताया कि उल्कापिंडों पर पानी की जो रासायनिक संरचना थी, वो धरती के पानी के मिलती नहीं थी. उल्कापिंडों से आए पानी में ड्यूटीरियम (Deuterium) ज्यादा था, जो हाइड्रोजन (Hydrogen) का भारी रूप होता है.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सौर मंडल में इस तत्व से भरे हुए उल्कापिंडों पर पानी की मौजूदगी आज भी होगी, लेकिन इसका रूप अलग हो सकता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि एस्टेरॉयड के टुकड़े पर कुछ ऐसे कण हैं जो सौर हवा (Solar Wind) की वजह से पानी में तब्दील हो चुके थे.
सौर हवा (Solar Wind) से हाइड्रोजन के आयन निकलते हैं, जो एस्टेरॉयड के पत्थरों में मौजूद ऑक्सीजन के एटम से मिलकर पानी बनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि हमारे सौर मंडल की शुरुआत में काफी ज्यादा धूल फैली हुई थी, जो सौर हवा की वजह पानी में तब्दील हुई.
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, धूल के कणों में ऑक्सीजन होती है. सौर हवा के हाइड्रोजन से मिलने के बाद वह पानी बनता है. जब अंतरिक्ष में जमा धूल पानी से भर गई तो धूल कण भारी होने लगे. फिर वे आपस में मिलकर या किसी सतह से टकराकर एस्टेरॉयड्स बन गए. पानी से भरे ये एस्टेरॉयड या उल्कापिंड धरती से टकराए तो यहां पर सागरों का निर्माण हुआ.