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नई दिल्ली: नासा (NASA) अपने सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इसी के साथ मंगल ग्रह (Mars) से जुड़े कई रोचक तथ्य सामने आ रहे हैं और ये खुलासे मंगल पर बस्ती के सपने को आकार देते जा रहे हैं. अब इसमें एक और नई कड़ी जुड़ गई है. एक अध्ययन के मुताबिक, मंगल के सतह पर बर्फीले बादलों की एक पतली परत रही होगी, जिने ग्रीनहाउस (Greenhouse) इफेक्ट ने उत्पन्न किया होगा.
इस इफेक्ट से ग्रह पर तापमान गर्म रहा होगा जिससे नदियां और पानी का बहाव मुमकिन हुआ होगा। और वाकई ऐसा हुआ तो इससे मंगल पर प्राचीन नदियों और झरनों की मौजूदगी और जीवन संभाविता के चांस बढ़ गए हैं. ऐसे में ये जनन्ना बेहद जरूरी है कि अगर मंगल पर पानी था या नदियां थीं तो ये कहां और कैसे विलुप्त हो गईं.
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NASA के परसिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर किया है जिसमें मंगल ग्रह धूल से ढंका है. इस पर जीवन के कोई सबूत नजर नहीं आ रहे हैं. हालांकि रोवर का हेलीकाप्टर ऐसे इलाके में घूम रहा है, जो कभी नदी का डेल्टा रहा होगा। बताया जा रहा है कि पृथ्वी पर जितनी सूर्य की रोशनी मिलती है, उसका एक तिहाई ही उस समय मंगल को मिलता था.
मंगल पर 3.7 अरब साल पहले बहने वाले पानी के प्रमाण जरूर मिले हैं जो ये दावा करते हैं कि कभी मंगल पर भी नदियां और पानी रहा होगा. लेकिन सवाल है कि मंगल ने समय के साथ कैसे अपना पानी खो दिया. एक अध्ययन में माना गया है कि मंगल पर बर्फीले, उच्च ऊंचाई वाले बादलों की एक पतली परत रही होगी, जो ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बनी होगी. लेकिन ये पानी कहां गए इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है.
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मंगल पर खोजबीन कर रहे रोवर डेल्टा के किनारे मौजूद पत्थरों को ड्रिल करेगा। इसके अलावा वहां मौजूद सूक्ष्मजीवों की तलाश भी की जाएगी ताकि वहां के बारे में विस्तार से जाना जा सके. 3डी कंप्यूटर मॉडल से यह साफ हुआ है कि करीब तीन अरब साल पहले ग्रह पर बादल मौजूद रहे होंगे. आपको बता दें कि ये बादल तब बनते हैं जब पानी की बूंदों के भाप बनने से पहले ही शून्य के नीचे का तापमान उनको जमा देता है.
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मंगल ग्रह को ‘दूसरा नीला ग्रह’ भी कहते हैं. वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि कभी ये बिल्कुल पृथ्वी की तरह दिखता था. मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी को लेकर अब तक कई थ्योरी दिए जा चुके हैं लेकिन किसी का पुख्ता प्रमाण नहीं है. बहरहाल, NASA रोवर्स और सैटेलाइटों द्वारा देखी गई तस्वीरों से यह बिल्कुल साफ़ हो गया है कि मंगल पर नदियों और झीलों के रूप में सैकड़ों सालों तक पानी मौजूद रहा है.
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