नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने पिछले साल नवंबर में स्वीडन में गिरे उल्कापिंड (Meteorite) की जांच के बाद बताया है कि अंतरिक्ष से आए इस पत्थर में लोहा ही लोहा है. स्वीडन (Sweden) के उपासला गांव में मिले इस उल्कापिंड पत्थर में भरपूर मात्रा में लोहा है. स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (Swedish Museum of Natural History) ने इस बात का खुलासा किया है. साथ ही ये भी बताया कि ये स्वीडन में कैसे गिरा? यह कितने बड़े उल्कापिंड का हिस्सा रहा होगा?


बड़े स्पेस रॉक का हिस्सा


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (Swedish Museum of Natural History) के मुताबिक इस ढेलेदार उल्कापिंड (Meteorite) का आकार पाव रोटी की तरह है. इसका वजन 31 पाउंड (14 किलोग्राम) है. आपको बता दें कि ये पहले एक बड़े स्पेस रॉक का हिस्सा था. वैज्ञानिकों के अनुसार ये जिस पत्थर से टूटकर गिरा है, उसका वजन लगभग 9 टन था. और इसने 7 नवम्बर को उपासला के ऊपर आसमानी रोशनी की थी.


ये भी पढ़ें- Indonesia Volcano Sinabung: तस्वीरों में देखें माउंट सिनाबंग ज्वालामुखी की भयवाहता, 5KM ऊपर गया गुबार


उल्कापिंड के कई छोटे-छोटे टुकड़े


स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के वैज्ञानिकों ने उल्कापिंड के गिरने की जगह को खोजा. वहां उल्कापिंड के कई छोटे-छोटे टुकड़े मिले. म्यूजियम के अनुसार उल्कापिंड के ये छोटे टुकड़े ओडेलन गांव के पास पाए गए. ये टुकड़े 0.1 इंच (3 मिलीमीटर) लंबे थे.


उल्कापिंड का टुकड़ा


स्टॉकहोम के जियोलॉजिस्ट एंड्रियास फोर्सबर्ग और एंडर्स (Geologist Andreas Forsberg and Anders) जब साइट पर वापस आए तो उन्हें उल्कापिंड का बहुत बड़ा टुकड़ा मिला. ये ऐसा था जैसे किसी बोल्डर को तोड़ दिया गया हो. ये टुकड़ा आशिंक रूप से काई में दबा हुआ था.


ये भी पढ़ें- Red Sprites And Blue Jets: इस देश में अचानक बदला आसमान का रंग, दिखी ये दुर्लभ खगोलीय आकृति


एक साइड चपटी और दरार भरी 


टक्कर होने के कारण इसकी एक साइड चपटी और दरार भरी हुई थी. इसके चारों तरफ छोटे- छोटे से छिद्र थे. लोहे के उल्कापिंड में इस तरह की आकृति बनना बहुत सामान्य है. म्यूजियम के अनुसार इस तरह के उल्कापिंड के पत्थर तब बनते है जब स्पेस से आया हुआ पत्थर वायुमंडल से गुजरते हुए पिघल जाते हैं.


देश का पहला उल्कापिंड 


स्वीडिश म्यूजियम हिस्ट्री के क्यूरेटर डेन ( curator of the Swedish Museum History, Dane) ने एक कहा, 'ये हमारे देश में गिरे हुए नए उल्कापिंड का पहला उदाहरण है. ये पहली बार है जब स्वीडन ने 66 वर्षों में फायरबॉल से जुड़े कोई भी उल्कापिंड प्राप्त किए हो. अब हम जानते है कि ये लोहे का उल्कापिंड है तो अब इसके गिरने के सिमुलेशन को ठीक कर सकते है.'


विज्ञानं से जुडी अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


LIVE TV