अमेरिका के व्योमिंग राज्य में स्थित ज्वालामुखी येलोस्टोन (Yellowstone Volcano) पिछले 6 लाख साल से शांत है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर किसी दिन यह ज्वालामुखी फट जाएगा तो प्रलय आ सकती है. इसके फटते ही भारी तबाही मच जाएगी और हजारों लोग अपनी जान गंवा बैठेंगे.
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नई दिल्ली: अमेरिका के व्योमिंग (Wyoming) राज्य में स्थित महाविनाशक ज्वालामुखी येलोस्टोन (Yellowstone Volcano) जमीन के अंदर से धधक रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक सुपरवॉल्कैनो (Supevolcano) है और अगर इसमें विस्फोट हुआ तो लगभग 90 हजार लोगों की मौत हो सकती है. ऐसा होने पर बहुत ही भयावह स्थिति पैदा हो जाएगी.
वैज्ञानिकों (Scientists) ने बताया कि यह ज्वालामुखी दिखने में जितना सुंदर है, असल में उतना ही खतरनाक है. अगर इसमें विस्फोट (Explosion) हुआ तो यह इंसान के इतिहास में सबसे भयानक तबाही ला सकता है. इस महाविस्फोट से बादल में इतनी मोटी राख उठेगी कि पूरी पृथ्वी इससे ढक सकती है.
6 लाख साल से शांत है यह ज्वालामुखी
व्योमिंग राज्य में स्थित येलोस्टोन ज्वालामुखी (Yellowstone Volcano) पिछले 6 लाख साल से शांत है लेकिन वैज्ञानिकों को इस बात की चिंता है कि यह ज्वालामुखी कभी भी जाग सकता है. इससे भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है. उन्होंने कहा कि अगर येलोस्टोन ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ तो पूरी दुनिया में अराजकता फैल जाएगी. ब्रिटिश अखबार डेली एक्सप्रेस के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने बताया है कि येलोस्टोन ज्वालामुखी के नीचे लाखों सालों से दबाव बन रहा है.
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अगर ज्वालामुखी के नीचे गर्मी बढ़ती रही तो ज्वालामुखी उबलना शुरू हो जाएगा और जमीन के अंदर चट्टानें पिघलने लगेंगी. अगर तापमान बढ़ता रहा तो यह मैग्मा, चट्टान, भाप, कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य गैसों का मिश्रण बना देगा. इसके बाद जमीन के अंदर एक गुबार बन जाएगा और जमीन उठ जाएगी, जो दिखाई भी देगी. इसे देखकर लगेगा कि यह फटने वाला है.
महाप्रलय की बन रही है आशंका
वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस ज्वालामुखी के फटने से प्रलय आ जाएगी. 90 हजार लोगों की तो तुरंत ही मौत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि 90 हजार लोगों की मौत तो बस एक शुरुआत होगी. इसके बाद तबाही का तूफान आ जाएगा. इस महाविस्फोट से 1600 किलोमीटर के इलाके में पूरी पृथ्वी के ऊपर मैग्मा की तीन मीटर परत फैल जाएगी. इसका मतलब यह होगा कि बचावकर्मियों को विस्फोट के स्थल तक पहुंचने में काफी दिक्कत होगी. इससे और ज्यादा लोगों की जान खतरे में आ जाएगी.
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यही नहीं, ज्वालामुखी से निकलने वाली राख जमीन से घुसने के सभी रास्तों को बंद कर देगी. इसके कारण पूरा वातावरण गैस से भर जाएगा और विमान उड़ नहीं पाएंगे. आइसलैंड में वर्ष 2010 में एक ज्वालामुखी के छोटे से विस्फोट के दौरान जो घटना घटी थी, यह उससे भी भयंकर होगा.