NASA के रोवर ने तोड़ा मंगल की चट्टान का सीना! भीतर जो मिला उसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं
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NASA के रोवर ने तोड़ा मंगल की चट्टान का सीना! भीतर जो मिला उसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं

NASA Curiosity Rover On Mars: मंगल ग्रह पर मौजूद नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने गलती से वहां की एक चट्टान को तोड़ दिया. भीतर जो कुछ मिला, उसे देखकर वैज्ञानिक चकित हैं.

NASA के रोवर ने तोड़ा मंगल की चट्टान का सीना! भीतर जो मिला उसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं

NASA Curiosity Rover Mars Rock: नासा के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) ने अनजाने में ही मंगल ग्रह की एक चट्टान को तोड़ दिया. भीतर जो पीली चीज नजर आई, उसने धरती पर वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया. यह पीली चीज सल्फर के क्रिस्टल हैं. मंगल पर पहली बार सल्फर के क्रिस्टल मिले हैं. वैसे तो मंगल ग्रह पर सल्फेट काफी आम है, लेकिन यह पहली बार है कि लाल ग्रह पर सल्फर अपने शुद्ध तत्व रूप में पाया गया है.

क्यूरियोसिटी रोवर, मंगल पर भेजी गई चलती-फिरती प्रयोगशाला है. 899 किलोग्राम वजनी यह रोवर जब मंगल पर चहलकदमी करता है तो धमक के साथ आगे बढ़ता है. Curiosity Rover ने यह खोज मई 2024 में की थी. वह कुछ चट्टानों से गुजर रहा था और उनमें से एक अचानक दो टुकड़े हो गई. गेडिज़ वालिस चैनल यानी वो जगह जहां यह चट्टान गलती से दबकर टूटी, वह ऐसी तमाम चट्टानों से भरी पड़ी है.

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मंगल ग्रह पर क्यूरियोसिटी को मिला सल्फर (फोटो: NASA/JPL-Caltech/MSSS)

'रेगिस्तान में मरूद्यान जैसी खोज'

क्यूरियोसिटी की इस खोज से यह संकेत मिलते हैं कि मंगल पर कहीं-कहीं सल्फर अपने शुद्ध तत्व रूप में, भारी मात्रा में मौजूद हो सकता है. NASA की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी में क्यूरियोसिटी प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक अश्विन वासवदा ने कहा, 'शुद्ध सल्फर से बने पत्थरों का इलाका खोजना रेगिस्तान में मरूद्यान (oasis) खोजने जैसा है.' उन्होंने कहा कि 'इसे यहां नहीं होना चाहिए इसलिए अब हमें इसे समझाना भी पड़ेगा.'

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मंगल के भौगोलिक इतिहास के बारे में चलेगा पता

सल्फेट वे लवण होते हैं जो तब बनते हैं जब सल्फर, आमतौर पर यौगिक रूप में, पानी में अन्य खनिजों से मिल जाता है. जब पानी उड़ जाता है तो खनिज मिक्स होकर सूख जाते हैं और सल्फेट बचा रह जाता है. ये सल्फेट खनिज हमें मंगल के बारे में काफी कुछ बता सकते हैं. जैसे कि मंगल का जल इतिहास और समय के साथ पानी गायब कैसे हुआ.

शुद्ध सल्फर केवल बहुत ही सीमित परिस्थितियों में ही बनता है, तथा मंगल के उस क्षेत्र में ऐसी परिस्थितियां नहीं पाई जातीं, जहां क्यूरियोसिटी ने यह खोज की थी. मंगल के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में हम ज्यादा कुछ नहीं जानते. लेकिन मंगल की सतह पर शुद्ध सल्फर की खोज बताती है कि वहां कुछ बहुत बड़ी बात है जिसके बारे में हम नहीं जानते.

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