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नई दिल्ली: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) अपने आर्टिमिस मिशन (Artemis Mission) की तैयारी कर रहा है. ये मिशन तीन चरणों में पूरा होगा. इसके अंतर्गत साल 2024 में दो यात्रियों को चंद्रमा (Moon) की सतह पर उतारा जाएगा. इसके लिए हाई लेवल पर तैयारियां चल रही हैं, लेकिन नासा ने अभी तक यह स्पष्ट तौर नहीं बताया है कि इस अभियान में यात्री चंद्रमा पर कहां उतरेंगे (Landing Spot On Moon For Artemis Mission). दरअसल, यह तय करने के लिए नासा के समाने अभी कई तरह की चुनौतियां हैं.
वाययानों के हवाई पट्टियों पर उतरने, उनके ट्रैफिक नियंत्रण निर्देश रेखाएं जैसी सुविधाएं केवल पृथ्वी ग्रह तक ही सिमित हैं. लेकिन जब अंतरिक्ष में चंद्रमा जैसे खतरनाक मिशन पर अंतरिक्ष यान जाता है तो उसके वहां उतरने के लिए किसी तरह की सहायता उपलब्ध नहीं होती है. इससे सटीक लैंडिंग (NASA Is Trying To Locate Landing Spot On Moon For Artemis Mission) में चुनौती भी रहती है. नासा भी इस समय इसी चुनौती का सामना कर रहा है.
आर्टिमिस अभियान में दो यात्री जिनमें एक महिला और एक पुरुष को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. इसके साथ ही नासा की चंद्रमा की सतह पर पहला आवास भी स्थापित करने की भी तैयारी है. आपको ऐसा लग रहा होगा कि इस अभियान के लिए साल 2024 की समय सीमा निश्चित ही एक लंबा समय है. लेकिन वास्तव में ऐसा बिल्कुल नहीं है. इसके अलावा आर्टिमिस अभियान की लैंडिंग साइट क्या होगी यह भी एक अहम सवाल है.
नासा ने लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (Landing Can Be Done In South Pole) के पास के इलाके को आदर्श स्थान के रूप में चुना है, लेकिन यह अभी तय नहीं है. आर्टिमिस का ओरियोन यान दक्षिणी ध्रुव में कहां उतरेगा यह भी एक सवाल है. दरअसल मिशन को कामयाब करने के लिए नासा बारीकी से इस इलाके की पड़ताल कर रहा है. चंद्रमा (Moon) पर लैंडिंग (Landing) की कई चुनौतियां हैं.
लैंडिंग साइट की अपनी कई आवश्यकताएं हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र होना चाहिए जहां सूर्य की रोशनी ठीक तरह से लंबे समय तक आती हो. साथ ही जहां ऊर्जा की समस्या न हो. इसके अलावा यह क्षेत्र ऐसा होना चाहिए जहां तापमान में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव नहीं होना चाहिए. जिससे पृथ्वी के उपकरणों को काम करने में परेशानी न आए.
दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ का होना भी आर्टिमिस अभियान की आवश्यकता है. ऐसे में इम्पैक्ट क्रेटर इन समस्याओं का एक समाधान हो सकता है. नासा के विशेषज्ञ भी इसे उपयुक्त मानते हैं. गहरे क्रेटर की गुफा में बर्फ भी मिल सकती है और सतह पर सूर्य से ऊर्जा मिल सकती है.
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के डब्ल्यू ब्रेंट गैरी ने इस अभियान के लिए एक वर्चुअल रियालिटी टूर विकसित किया है. ताकि इससे अभियान के योजनाकारों और यात्रियों को वातावरण का ज्यादा से ज्यादा अंदाजा हो सके. उनके इस मॉडल में सूर्य की रोशनी के साथ अंधेरे वाले क्रेटर्स दोनों दक्षिणी ध्रुव में मिल सकते हैं. गौरतलब है कि नासा (NASA) के लिए आर्टिमिस अभियान (Artemis Mission) उसके भविष्य के अभियानों के लिए नींव का काम करेगा.
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विशेषज्ञ लैंडिंग के लिए सपाट जगह चाहते हैं जिससे लैंडर गिर ना जाए. लेकिन लैंडिंग का इलाका, गतिविधि इलाके से कुछ दूर होना चाहिए. इससे लैंडिंग की वजह से उड़ने वाली गैस आदी से आसपास की जमीन में गड़बड़ी ना होगी. और मीलों तक सतही पदार्थ इधर उधर नहीं फैलेगा. इसलिए प्रयोग स्थल, सौर पैनल, आवास आदि कम से कम एक मील दूर होना चाहिए.
इसका एक समाधान यह है कि लैंडिंग किसी पहाड़ी इलाके के पास हो. इसके लिए टीम ऐसे इलाकों के तलाश कर रही है. इसके साथ ही लैंडिंग का इलाका पृथ्वी की ओर का होना चाहिए जिससे यात्रियों और पृथ्वी के बीच संचार बाधित ना हो सके.
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