Fastest Spinning Object In Universe: वैज्ञानिकों ने एक 'मृत' न्यूट्रॉन तारे का पता लगाया है जो एक सेकंड में 716 बार रहा है. यह अब तक देखा गया सबसे तेज घूमने वाला दूसरा ब्रह्मांडीय पिंड बन गया है.
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Science News in Hindi: एस्ट्रोनॉमर्स ने ब्रह्मांड में भयानक तेजी से घूम रहे एक 'मृत तारे' का पता लगाया है. यह एक न्यूट्रॉन तारा है जो प्रति सेकंड 716 बार घूम रहा है. नई खोज इसे ब्रह्मांड में अब तक देखा गया सबसे तेजी से घूमने वाला दूसरा पिंड बनाती है. दोनों ही पिंड न्यूट्रॉन तारे हैं मगर नए खोजे गए तारे की सतह पर परमाणु बमों जितने शक्तिशाली विस्फोट हो रहे हैं. वैज्ञानिकों ने इसका पता NASA के एक्स-रे टेलीस्कोप Neutron star Interior Composition Explorer (NICER) की मदद से लगाया. यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के बाहरी हिस्से में लगा है.
पृथ्वी से बहुत ज्यादा दूर नहीं यह तारा
बेहद तेजी से घूम रहा यह न्यूट्रॉन तारा 4U 1820-30 नामक बाइनरी सिस्टम का हिस्सा है. यह सिस्टम NGC 6624 क्लस्टर में मौजूद है जो मिल्की वे के केंद्र की ओर, पृथ्वी से लगभग 26 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. इसे खोजने वाली टीम के सदस्य गौरव जायसवाल ने एक बयान में कहा, 'हम इस सिस्टम से होने वाले थर्मोन्यूक्लियर विस्फोटों का अध्ययन कर रहे थे और तब हमें उल्लेखनीय दोलन मिले, जिससे पता चला कि एक न्यूट्रॉन तारा अपनी केंद्रीय धुरी के चारों ओर प्रति सेकंड 716 बार आश्चर्यजनक गति से घूम रहा है.'
जिस तेजी से 4U 1820-30 का न्यूट्रॉन स्टार घूमता है, ब्रह्मांड में उतनी तेजी से सिर्फ एक और चीज घूमती है. वह चीज एक दूसरा न्यूट्रॉन तारा PSR J1748–2446 है, यह भी एक सेकंड में 716 बार या एक मिनट में 41,960 बार घूमता है.
4U 1820-30 बाइनरी सिस्टम में इस न्यूट्रॉन तारे के साथ एक सफेद बौना भी मौजूद है. यह सफेद बौना तारा भी कुछ कम नहीं. यह अपने न्यूट्रॉन तारे का हर 11 मिनट में चक्कर लगा लेता है. इसका मतलब यह है कि यह अब तक देखा गया सबसे छोटी परिक्रमा अवधि वाला बाइनरी स्टार सिस्टम है. टीम की रिसर्च के नतीजे The Astrophysical Journal में छपे हैं.
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कैसे बनते हैं ये तारे?
एक सफेद बौना उस अवशेष को कहते हैं जो सूर्य के बराबर द्रव्यमान वाले तारे मरने के बाद पीछे छोड़ जाते हैं. वहीं, न्यूट्रॉन तारे तब बनते हैं जब सूर्य के द्रव्यमान से कम से कम 8 गुना अधिक द्रव्यमान वाले बहुत विशाल तारों में परमाणु संलयन के लिए जरूरी ईंधन खत्म हो जाता है.