Space News: सौरमंडल के दूसरे ग्रहों पर ऑक्सीजन की खोज लंबे समय से चल रही है. अब वैज्ञानिकों की नई खोज ने शुक्र ग्रह पर ऑक्सीजन की मौजूदगी को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है.
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Space News: सौरमंडल के दूसरे ग्रहों पर ऑक्सीजन की खोज लंबे समय से चल रही है. अब वैज्ञानिकों की नई खोज ने शुक्र ग्रह पर ऑक्सीजन की मौजूदगी को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है. शुक्र के वातावरण में भले ही 96% कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) है, लेकिन जर्मन खगोलविदों की खोज में कहा गया है कि शुक्र के दिन और रात दोनों समय के वातावरण में ऑक्सीजन की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं.
शुक्र पर ऑक्सीजन के साक्ष्य!
यह खोज शुक्र के वातावरण को पृथ्वी के वातावरण से इतना अलग बनाने वाले कारणों को समझने में हमारी मदद कर सकती है. साथ ही यह भविष्य के शुक्र ग्रह अभियानों के लिए भी उपयोगी हो सकती है. पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी शुक्र आकार में भी पृथ्वी के लगभग बराबर है (पृथ्वी की त्रिज्या 6,371 किमी है, जबकि शुक्र की त्रिज्या 6,052 किमी है). इस लिहाज से देखें तो पृथ्वी और शुक्र जुड़वा ग्रहों की तरह हैं. लेकिन शुक्र को "दुष्ट जुड़वा" माना जा सकता है.
शुक्र के वातावरण में 96% कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
हमारा खूबसूरत नीला ग्रह ऑक्सीजन युक्त वातावरण से ढका है. वहीं, शुक्र का वातावरण 96% कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), 3.5% आणविक नाइट्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, जल वाष्प, आर्गन और हीलियम जैसी अन्य गैसों की सूक्ष्म मात्रा से मिलकर बना है. यह सौरमंडल के किसी भी चट्टानी ग्रह पर सबसे घना वातावरण है. इस ग्रह का दबाव पृथ्वी पर लगभग 900 मीटर पानी के नीचे पाए जाने वाले दबाव के बराबर है.
शुक्र कभी पृथ्वी के जैसा ही था
माना जाता है कि शुक्र ग्रह की गर्म और विषाक्त स्थिति "बेकाबू ग्रीनहाउस प्रभाव" का नतीजा है. वैज्ञानिकों का लंबे समय से यह सिद्धांत रहा है कि शुक्र कभी पृथ्वी के जैसा ही था. यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि कभी वहां महासागर भी हुआ करते थे. लेकिन सूर्य से इसकी निकटता का मतलब था कि शुक्र के महासागर वाष्पित हो गए, जिससे वातावरण में जल वाष्प चला गया. फिर इन अणुओं को पराबैंगनी विकिरण द्वारा तोड़ दिया गया, हाइड्रोजन अंतरिक्ष में चला गया और CO2 वातावरण में जमा हो गया, जिससे शुक्र की मौजूदा स्थिति बनी.
शुक्र बहुत धीमी गति से घूमता है
हाल के अध्ययन के अनुसार शुक्र के वातावरण में पाए जाने वाले ऑक्सीजन का निर्माण दिन के समय सूर्य के प्रकाश द्वारा CO2 और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के टूटने से होता है. फिर इसे वायुमंडलीय परिसंचरण द्वारा रात के समय की तरफ ले जाया जाता है. शुक्र बहुत धीमी गति से घूमता है. शुक्र पर एक दिन 243 पृथ्वी दिनों तक रहता है, जबकि यह ग्रह हर 225 दिनों में सूर्य के चारों ओर एक बार चक्कर लगाता है, यानी शुक्र पर एक दिन उसके एक साल से भी लंबा होता है.
शुक्र की सतह से 100 किमी ऊपर ऑक्सीजन की सबसे अधिक मात्रा
इससे पहले के अध्ययनों में शुक्र की रात की हवा में परमाणविक ऑक्सीजन (आणविक ऑक्सीजन, O2 नहीं) का पता चला था. यह ग्रह के वातावरण द्वारा प्रकाश का एक मंद उत्सर्जन है. नए अध्ययन में ग्रह के रात और दिन दोनों तरफ 17 बिंदुओं का विश्लेषण किया गया और सभी स्थानों पर ऑक्सीजन पाया गया. नासा के स्ट्रैटोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी विमान पर लगे स्पेक्ट्रोमीटर इस्तेमाल से माप लिए गए. शुक्र की सतह से 100 किमी ऊपर ऑक्सीजन की सबसे अधिक मात्रा पाई गई थी.