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बर्लिन: जब नन्हा सा बच्चा बुलाने पर अपने मुंह से ‘मामामा,’ ‘दादादा,’ ‘बाबाबा’ जैसी आवाज निकालता है तो माता-पिता आमतौर पर बच्चे की इन पहली आवाजों का बड़े उत्साह के साथ स्वागत करते हैं. बोलना सीखते समय बड़बड़ाना एक सामान्य बात है. आम तौर पर विकसित होने वाले सभी बच्चे बड़बड़ाते हैं, चाहे वे कोई भी भाषा सीख रहे हों. लेकिन एक स्टडी ने वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया है. इस स्टडी में तमाम प्रजातियों में भाषा की Biological Foundation की जांच की गई है. इसी दौरान पता चला कि चमगादड़ का बच्चा भी बड़बड़ता है और अपनी मां से बातें करता है.
बर्लिन के संग्रहालय फर नअुरकुंडे में Behavioral Biologist अहाना औरोरा फर्नांडीज ने पनामा और कोस्टा रिका में चमगादड़ों की कॉलोनियों के सामने बैठकर उनकी आवाजों को रिकॉर्ड करने में कई महीने हर रोज घंटों बिताए. इस दौरान उन्होंने और उनके सहयोगियों ने चमगादड़ों के बच्चों और इंसानों के बच्चों में बड़बड़ाने के बीच जबर्दस्त समानताएं पाईं. इस स्टडी में पाया, चमगादड़ इंसानों की तरह ब्रेन स्ट्रक्चर रखते हैं. इसीलिए चमगादड़ आवाज की नकल करने में भी सक्षम है. वैज्ञानिकों ने इसे आवाज सीखने की न्यूरोमोलिक्यूलर नींव को समझने में मदद करने वाली स्टडी बाताया है.
गीत गाने वाली चिड़ियों का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने आवाज की नकल के बारे में बहुत कुछ सीखा. गीत गाने वाली ये चिड़िया सबसे प्रसिद्ध Sound Learners में से हैं, और गीत गाने वाली नन्ही मेल चिड़िया की सीखने की प्रक्रिया और इंसान के बोलना सीखने के विकास में दिलचस्प समानताएं दिखाती हैं. गीत गाने वाले नन्हे मेल पक्षी भी एक लर्निंग के दौरान अपने नोट्स का अभ्यास करते हैं जो इंसानों के बच्चों की बड़बड़ की याद दिलाता है.
स्टडी में सामने आया, मध्य अमेरिका के उष्णकटिबंधीय जंगल में, एक स्तनपायी है जो एक बहुत ही अनोखे अंदाज में कुछ ऐसी आवाजें निकालता है, जो मानव शिशु के बड़बड़ाने की याद दिलाता है. नियोट्रॉपिकल ग्रेटर सैक-विंग्ड चमगादड़, जिसका नाम है सैकोप्टेरिक्स बिलिनेटा. पीठ पर दो लहराती सफेद धारियों वाले इस छोटे से गहरे रंग के चमगादड़ के बच्चे, जब बड़े हो रहे होते हैं तो अक्सर इसी तरह बड़बड़ाते हैं. ग्रेटर सैक-विंग्ड चमगादड़ के पास स्वरों का एक बड़ा कलेक्शन होता है, जिसमें 25 अलग-अलग सिलेबल शामिल होते हैं.
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चमगादड़ के बड़बड़ाने पर गुजारे सैकड़ों घंटे
वैज्ञानिकों ने आठ कॉलोनियों में जंगली चमगादड़ों की आवाज को लेकर स्टडी की. दिन के दौरान, एस. बिलिनेटा पेड़ों की दरारों और इमारतों की बाहरी दीवारों में चमगादड़ मिलते थे. जन्म से लेकर 10 सप्ताह तक के चमगादड़ का अध्ययन किया और देखा कि वह सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बड़बड़ाते हैं. उनके बड़बड़ाने की यह आवाज तेज होती है. कई चमगादड़ 43 मिनट तक बड़बड़ाते हैं. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि चमगादड़ के बच्चे बड़बड़ाते हुए बड़े चमगादड़ों की आवाज की नकल करके गाना सीखते हैं.
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