तेजी से धरती की तरफ आ रहा है बेन्नू एस्टेरॉयड, इतना घातक कि खड़े हो जाएंगे रोंगटे
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तेजी से धरती की तरफ आ रहा है बेन्नू एस्टेरॉयड, इतना घातक कि खड़े हो जाएंगे रोंगटे

Bennu Asteroid: मंगल और बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच अंतर बड़ा है और इस गैप में छोटे छोटे चट्टान अपनी जगह बना चुके हैं जिन्हें एस्टेरॉयड कहा जाता है, जब बात हम छोटे छोटे की करते हैं तो भी वो उनका आकार बेहद बड़ा होता है, अगर बात एस्टेरॉयड बेन्नू की करें तो इसका आकार न्यूयॉर्क के एंपायर स्टेट के बराबर है.

 तेजी से धरती की तरफ आ रहा है बेन्नू एस्टेरॉयड, इतना घातक कि खड़े हो जाएंगे रोंगटे

What is Bennu Asteroid: वैज्ञानिक जगत में इस समय एस्टेरॉयड बेन्नू की चर्चा हो रही है. चर्चा के पीछे दो वजह है. पहली वजह यह कि नासा ने बेन्नू एस्टेरॉयड को सैंपल को लाया है जिसे 11 अक्टूबर के बाद सार्वजनिक किया जाएगा. दूसरी वजह यह कि बेन्नू(bennu asteroid collission with earth), धरती से टकरा सकता है. अगर बेन्नू की टक्कर धरती से होती है तो करीब 1200 मेगाटन ऊर्जा निकलेगी लेकिन सवाल यह है कि टक्कर होने की संभावना कितनी और कब है. इन्हीं सब सवालों के जवाबों को ढूंढने की कोशिश की जाएगी.

159 साल बाद धरती से टकराने की संभावना

बेन्नू के बारे में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने विस्तार से जानकारी दी है. नासा(nasa on bennu asteroid) के मुताबिक धरती से टकराने की संभावना .036 फीसद है जिसे आप नगण्य मान सकते हैं लेकिन अगर टक्कर होती है तो वो तारीख कौन सी होगी. इस सस्पेंस से पर्दा उठाते हुए नासा ने कहा कि 24 सितंबर 2182 को टक्कर की संभावना है, अगर इस तारीख को 2023 से देखें तो 159 साल बाद धरती को विनाशकारी हालात का सामना कर पड़ सकता है. बड़ी बात यह है कि बेन्नू एस्टेरॉयड करीब हर 6 साल बाद धरती के करीब से गुजरता है. 1999, 2005 और 2011 में भी बेन्नू एस्टेरॉयड धरती के करीब से गुजरा था.

102 मंजिल जितना ऊंचा है बेन्नू

बेन्नू के आकार के बारे में भी नासा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह न्यूयॉर्क के एंपायर स्टेट जितना ऊंचा हो सकता है. बता दें कि 1971 तक एंपायर स्टेट को सबसे ऊंची इमारत होने का दर्जा हासिल था, करीब 1250 फीट ऊंची इस इमारत में कुल 102 मंजिल हैं

ऐसे पड़ा नाम बेन्नू

अब आपके दिमाग में यह सवाल भी कौंध रहा होगा कि आखिर एस्टेरॉयड का नाम बेन्नू कैसे पड़ा. इस सवाल का जवाब भी नासा ने दिया है, नासा का कहना है कि साल 1999 में इसकी पहचान RQ 36 के तौर पर हुई. 2013 में इसे बेन्नू नाम दिया गया जिसका संबंध मिस्र के एक देवता से है. नॉर्थ कैरोलिना में महज 9 साल के माइकल पूजियो ने इसे नया नाम दे कंपटीशन में जीत दर्ज की.

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