मेरे लिए हर किरदार जिंदगी और मौत का सवाल होता है: मनोज बाजपेयी
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मेरे लिए हर किरदार जिंदगी और मौत का सवाल होता है: मनोज बाजपेयी

मेरे लिए हर किरदार जिंदगी और मौत का सवाल होता है: मनोज बाजपेयी

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कुछ चुनिंदा एक्टर्स ऐसे हैं जो अपने अभिनय से जादूगरी जगाना जानते हैं और उनमें से एक हैं अभिनेता मनोज बाजपेयी। मनोज बाजपेयी ने थिएटर से टीवी और टीवी से फिल्मों तक का बड़ा लंबा सफर तय किया है। अपने रोल के प्रति उनकी खास अप्रोच उनके किरदारों को यादगार बना देती है। वो खुद कहते हैं कि वह अपना हर किरदार ऐसे निभाते हैं, जैसे वह उनका आखिरी किरदार है। अपने हर रोल को ज़िंदगी और मौत का सवाल बताने वाले मनोज बाजपेयी आजकल अपनी फ़िल्म ट्रैफिक को लेकर काफी व्यस्त हैं। इस फिल्म और उनके ट्रैफिक कॉन्स्टेबल के रोल को लेकर आईएमइन (iamin) की संवाददाता ज्योति चाहर ने उनसे खास बातचीत की। पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश-

फ़िल्म का ट्रेलर लोगों को काफी पसंद आ रहा है, आपको खुद लोगों से कैसा रिसपॉन्स मिल रहा है?

फिल्म को लेकर बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। चारों ओर फिल्म को लेकर चर्चा हो रही है। फिल्म के ट्रेलर ने लोगों पर काफी प्रभाव डाला है। कहीं भी जाता हूं तो लोग पूछते हैं कि आपकी फिल्म ट्रैफिक कब आ रही है। अच्छा लगता है यह जानकर कि लोगों को आपकी फ़िल्म के बारे में जानकारी है और वो आपकी फिल्म के रिलीज होने का इंतज़ार कर रहे हैं।

इस फ़िल्म में आप ट्रैफिक कॉन्स्टेबल का किरदार निभा रहे हैं, इसके लिए कोई खास तैयारी करनी पड़ी?

देखिए, बहुत सारी तैयारियां होती हैं। मैं अगर वो सारी बातें अगर मैं आपको बताऊंगा तो शायद आपको समझ में भी नहीं आएंगी, क्योंकि एक एक्टर सालों तक अपने क्राफ्ट पर काम करता है। हमें हर रोल के हिसाब से अलग तैयारी करनी पड़ती है और डायरेक्टर के हिसाब से अलग तैयार करनी पड़ती है तो हर रोल में बहुत मेहनत लगती है। इस रोल के साथ भी यही हुआ। इसके लिए भी काफी तैयारी करनी पड़ी। इस रोल को निभाने में बहुत मज़ा आया। ऐसा खासकर इसलिए भी हुआ कि फ़िल्म के बाकी कलाकार बहुत ही टैलेंटेड हैं।

आप हर रोल में सुपरहिट हैं, आप किसी छोटे से किरदार भी इतनी जान डाल देते हैं कि वो दमदार हो जाता है। इसका क्या राज है?

तारीफ के लिए शुक्रिया। इसका राज यही है कि मैं अपने काम पर बहुत मेहनत करता हूं। मेरे लिए हर रोल ज़िंदगी और मौत का सवाल होता है। मुझे लगता है कि मैं ये रोल कर रहा हूं और इसके बाद ज़िंदगी खत्म होने वाली है। शायद इसी वजह से दर्शकों को वो रोल दमदार लगता है।

किसी फ़िल्म के लिए हां करने से पहले आप क्या देखते हैं?

अच्छी स्क्रिप्ट होनी चाहिए, एकदम अलग तरीके की स्क्रिप्ट। ऐसी स्क्रिप्ट जो आपने पहले कभी देखी नहीं हो, पहले किसी ने ऐसी स्क्रिप्ट पढ़ी नहीं हो। रोल मेरी किसी भी फ़िल्म से मिलता- जुलता न हो। इन्हीं सब चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है।

हमने एक इंटरव्यू में पढ़ा था कि आपको आउट ऑफ़ वर्क होने का फोबिया है?

नहीं, मुझे ऐसा कोई फोबिया नहीं है। ये जर्नलिस्ट ने अपने मन से लिख दिया होगा। मुझे ऐसा कोई फोबिया नहीं है। मैं बिना काम कई-कई महीने, कई-कई सालों तक बैठा हूं। मुझे कोई डर नहीं लगता कि मेरे पास कोई काम नहीं होगा।

आपकी अगली फ़िल्म पूरी तरह ट्रैफिक से संबंधित है। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ जब कोई इमरजेंसी हो और आप ट्रैफिक में फंसे हों?

बहुत बार ऐसा हुआ है। अगर आप मुंबई शहर में रहते हैं तो आप ट्रैफिक जाम में फंसते ही फंसते हैं। यहां दो-तीन घंटे तक लोग ट्रैफिक जाम में फंसे रहते हैं। एक बार मुझे याद है कि मुझे किसी काम से  जल्दी घर जाना था और एयरपोर्ट से घर पहुंने के रास्ते में ही दो घंटे ट्रैफिक जाम में फंस गया। खासकर बारिश के मौसम में तो मुंबई के ट्रैफिक का बहुत ही बुरा हाल होता है।

फिल्म अलीगढ़ के लिए आपको दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिला है। इतने बड़े अवॉर्ड से सम्मानित होने पर कैसा महसूस होता है?

बहुत अच्छा लगता है। देखिए यह एक पॉपुलर अवॉर्ड है। आपके ज़रिए मैं पाठकों से कहूंगा कि ये कोई लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड या कोई सरकारी अवॉर्ड नहीं है। दादा साहेब फाल्के मुंबई की एक फाउंडेशन है, जो हर साल अवॉर्ड देती है। मुझे यह पुरस्कार मिला, इसकी बेहद खुशी है।  

ट्रैफिक फ़िल्म के निर्देशक राजेश पिल्लई का फरवरी में दुखद निधन हो गया, उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

वो बहुत प्यारे इंसान थे। बहुत ही मेहनती डायरेक्टर थे। वो मुझे एक टैडी बियर की तरह लगते थे। वो बहुत हंसमुख इंसान थे और अपने काम लेकर वो एकदम बच्चे की तरह थे। अगर कोई उनको मन का शॉट नहीं मिलता था तो बिल्कुल बच्चों की तरह रोने लगते थे। मैं उन्हें बहुत मिस करता हूं।

सुना है कि आप तीनों खान के लिए ट्रैफिक की स्पेशल स्क्रीनिंग रखने वाले हैं?

दरअसल, ये काम मैं नहीं कर रहा हूं। निर्माता कंपनी यह स्क्रीनिंग रखना चाह रही है और मैं तो चाहूंगा कि ऐसा हो। अगर ऐसा होता है तो मुझे बहुत खुशी होगी और मैं खुद उनका स्वागत करने के लिए मौजूद रहूंगा।

आपने अभी तक कई तरह के किरदार निभाएं हैं। क्या कोई ऐसा किरदार भी है जिसे करने की बड़ी तमन्ना हो?

देखिए मेरे दिमाग में ऐसा कोई रोल नहीं है। मैं तो हर आदमी का रोल करना चाहता हूं। मैं हर वो ग्रेट स्क्रिप्ट में काम करना चाहता हूं, जो इस इंडस्ट्री में लिखी जा रही है। हर वो ग्रेट रोल करना चाहता हूं जो दूसरे एक्टर को जा रहा है। इस मामले में बहुत ही लालची हूं।

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