अब तक गज़ल प्रेमी यही गा गा कर काम चला रहे थे कि ‘मंहगी हुई शराब कि थोड़ी थोड़ी पिया करो.’अब सुर बदलने पड़ रहे हैं और वे चुपके चुपके गुनगुना रहें हैं, महंगी हुई प्याज ( Onion) की थोड़ी थोड़ी खाया करो'.
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नई दिल्ली: अब तक गज़ल प्रेमी यही गा गा कर काम चला रहे थे कि ‘मंहगी हुई शराब कि थोड़ी थोड़ी पिया करो.’अब सुर बदलने पड़ रहे हैं और वे चुपके चुपके गुनगुना रहें हैं, महंगी हुई प्याज ( Onion) की थोड़ी थोड़ी खाया करो'.
वाह ताज नहीं, वाह! प्याज बोलिए जनाब
तबलची तबला खड़का खड़का कर विज्ञापन दे रहे हैं. वाह! प्याज बोलिये जनाब! घरेलू डायलॉग बदल गए हैं. पति अपनी अर्धांगनियों से कह रहे हैं- तुम क्या जानो एक प्याज की कीमत जानू ? जीडीपी का लिहाज रखते हुए कई भाई लोगों ने नवरात्रों के दौरान भी चिकन और बैंगन का भरता, बिना प्याज के खाया. सिर्फ इस आस में कि जैसे श्राद्धों में सोना नीचे आ जाता है उसी तरह प्याज न खाने से उसका रेट भी किसी शेयर की तरह धड़ाम हो जाएगा. परंतु यह हिन्दुस्तान है जनाब. जहां के चुनावों के बारे में बड़े बड़े तिकड़म बाज और चैनल पर चिल्लाने वाले यह नहीं बता सकते कि कौन जीतेगा, कौन हारेगा. महान अर्थशास्त्री यह नहीं बता पाते कि नवरात्र और प्याज के मध्य क्या गठबंधन है.
प्याज के बिना सब सून
कोरोना ने पहले ही आधी जनता को कंगला बना डाला और प्याज ने लाइफ कर दी झींगा लाला. कंगाली में आटा गीला हो जाए तो आटे में और पानी डाल के उस घोल से चिल्ले बनाए जा सकते हैं पर प्याज बिन सब सून. आलू बगैर आप कददू, भिंडी घिया, तोरी, पनीर वनीर बना सकते है पर प्याज के गठबंधन बिना किसी सब्जी की सरकार नहीं बन सकती. प्याज आगामी चुनावों में एक आई कैचर स्लोगन बन सकता है. वैक्सीन जब आएगी तब आएगी. नेता यह तो कह ही सकता है कि तुम मुझे वोट दो - मैं तुम्हें प्याज दूंगा. अब सेब सस्ता है, प्याज उससे कई कदम आगे है.
मित्र बाबू राम फ्री प्याज की आस में सड़क पर निकल पड़े
हमारे मित्र बाबू राम लाल टहलते टहलते किसानों के साथ हमदर्दी दिखाने निकल पड़े. बस इस आस में कि जब किसान गुस्से में होता है तो अपने उत्पादन क सही रेट पाने और इंसाफ के लिए लड़ने कभी कभी सड़कों पर दूध की नदियां बहा देता है तो कभी टमाटरों से सड़कों के गाल लाल कर देता है. एक बार बाबू राम लाल थैले भर भर भर के टमाटर उठा लाए थे और साल भर टोमोटो सॉस बेचते रहे. इस बार किसान सड़कों और रेलवे लाइनों पर बिछे तो हैं पर प्याज रहित हैं. सड़कों को प्याजी रंग से नहीं रंगा. सो बाबू राम लाल ने कृषि बिल पर उनका समर्थन नहीं किया.
प्याज का साथ नहीं छोड़ेंगे हम
चुनावी दंगलों में नेता तम्हारी माला पहन सकते हैं. तुम्हारे नाम पर चुनाव जीत या हार सकते हैं. तुम ही भाग्य विधाता हो. हम विशुद्ध भारतीय हैं. पेट्रोल महंगा होने पर हम गाड़ी चलाना छोड़ थोड़े ही देते हैं. तुम्हारा साथ न छोड़ेंगे हम! हे प्याज महाराज ! तुम्हीं सब्जियों की अधीश्वर हो. गंध भी तुम - सुगंध भी तुम. तुम्हीं आयात हो, तुम्ही निर्यात हो. किचन की आन,बान शान हो. सारी सब्जियों के अधिनायक हो. सरकार के खेवनहार हो.
धनतेरस पर लोग गोल्ड नहीं प्याज खरीदेंगे
जब प्याज एक रुपये किलो भी नहीं बिकेगी तो किसान कृषि मंत्री की मुंडी पकडेंगे. जब इसका सेंसेक्स 100 पार कर जाएगा तो जनता तुम्हें दबोचेगी. किसान तुम्हें जीने नहीं देगा और जनता तुम्हें मरने नहीं देगी. धन तेरस पर लोग तुम्हें ही सोना समझ कर खरीदेंगे. दीवाली पर ड्राई फ्रूट की जगह तुम्हारा ही आदान प्रदान होगा. तुम भी कोरोना की तरह समाज में आमूल चूल परिवर्तन और क्रांति लाने में पूर्ण सक्षम हो.
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