मुझे अपनी खुद की आवाज़ सुनना पसंद नहीं: लकी अली
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मुझे अपनी खुद की आवाज़ सुनना पसंद नहीं: लकी अली

मुझे अपनी खुद की आवाज़ सुनना पसंद नहीं: लकी अली

अपनी सूफियाना आवाज से लाखों दिलों की धड़कन पर राज करने वाले लकी अली आजकल फिर सुर्खियों में हैं। फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली की फिल्म तमाशा में लकी अली का गाना सफरनामा लोगों की जुबां पर चढ़ चुका है। एक अलग और कभी न भुलाई जा सकने वाली आवाज़ के मालिक लकी 'एक पल का जीना' जैसे कई सुपरहिट गानों को अपनी आवाज दे चुके हैं। 'कांटे' और 'सुर' जैसी ऑफबीट फ़िल्मों में अभिनय करने वाले अली सालों बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं। सफरनामा से उनकी वापसी, लाइमलाइट से दूरी और बॉलीवुड से जुड़े उनके खट्टे मीठे एक्सपीरियंस के बारे में लकी अली से हमारी संवाददाता ज्योति चाहर ने बात की

 

तमाशा फिल्म में आपके सफरनामा गाने के बारे में हमें कुछ बताएं?

सफरनामा एक बहुत ही खूबसूरत गाना है, जिसे इरशाद कामिल ने लिखा है, ए आर रहमान ने कंपोज किया है, लकी अली ने गाया है और इम्तियाज भाई ने अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया है। मेरे लिए ये गाना बहुत ही स्पेशल है। खासतौर पर इस गाने के बोल मुझे काफी पसंद आए। इस गाने का म्यूज़िक बहुत ही सुकून देने वाला है। मुझे ऐसा लगा कि रहमान ने काफी कुछ सोचकर मुझसे ये गाना गवाया है।

 

सालों बाद एआर रहमान के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

वो एक बेहतरीन इंसान है। उनके साथ काम करने का अनुभव हमेशा ही अच्छा रहा है। रहमान बेहद खूबसूरत म्यूज़िक बनाते हैं। वैसे भी जब आप रहमान भाईसाहब के साथ काम करते हों तो दिन में तो काम होता नहीं है, रात को 10 बजे के बाद ही सारा काम शुरू होता है।(हंसते हुए)

 

अब आपके बहुत कम गाने सुनने को मिलते हैं। कोई खास वजह?

क्योंकि मैं बहुत दूर रहता हूं। वैसे भी कहते हैं कि जब कोई अच्छी चीज होनी होती है तो वो आपको ढ़ूंढ ही लेती है। ऐसा नहीं है कि मुझे सिर्फ रहमान के साथ ही काम करना है। इससे पहले भी मैंने काफी लोगों के साथ काम किया है। जिसके पास भी मेरे लिए कोई अच्छा गाना हो और जिससे मैं कनेक्ट कर पाऊं तो मैं ज़रूर गाउंगा। मेरे लिए सफरनामा एक बहुत ही स्पेशल गाना है। काफी सालों के बाद मैंने रहमान के साथ काम किया है।

 

कहीं न कहीं सफरनामा गाना आपकी ज़िंदगी से जुड़ा हुआ लगता है।

देखिए ऐसा भी होता है कि आप कुछ लिखे देते हैं लेकिन जो आप कहना चाहते हैं, उसे ढ़ंग से शब्दों में बयां नहीं कर पाते। मैंने ऐसे भी कुछ लोग देखे हैं। इरशाद भाई ने सफरनामा गाने को बहुत ही खूबसूरत तरीके से लिखा है। ये गाना कहीं न कहीं आपके काफी सवालों के जवाब देता है। इस गाने को जो भी सुनेगा, वो इस गाने से खुद ही जुड़ जाएगा।

 

संजय गुप्ता फिल्म कांटे के सीक्वल पर काम कर रहे हैं। क्या हम इसमें आपको फिर से एक्टिंग करते हुए देख पाएंगें?

नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। जब तक मैं अपनी खुद की फिल्म न बना लूं। मेरा फिल्म बनाने का इरादा तो है। अभी मैं कुछ आइडियाज़ पर काम कर रहा हूं। इंशा अल्लाह। वैसे अब फिल्म में काम करने का आइडिया मुझे इतना एक्साइट नहीं करता। वैसे भी सभी लोग एक ही ट्रेंड फॉलो कर रहे हैं। वो न तो कोई एक्सपेरिमेंट करना चाहते हैं और न ही कुछ एक्सप्लोर करना चाहते हैं। आजकल तो वैसे भी तीन दिन का सिनेमा है- शुक्रवार, शनिवार और रविवार। इन तीन दिनों में जिसकी फिल्म चल गई वो हिट हो गई।

 

आप किस विषय पर ये फिल्म बनाने का सोच रहे हैं?

मेरे पास अभी एक सोशल थीम है, एक थ्रिलर है लेकिन रियल्टी सिचुएशन के साथ और एक ट्रैवल सब्जेक्ट भी है।

 

आपको म्यूज़िक फेस्टिवल में ज़्यादा देखा जाता है।

मुझे इसी में ज़्यादा मज़ा आता है। अभी मैं दिल्ली में टैन हेड्स फेस्टिवल का हिस्सा बना, जिसका अनुभव काफी मज़ेदार रहा।

 

जब आप लाइव परफॉर्म करने जाते हैं, किन बातों का खास ध्यान रखते हैं?

बस इसी बात का खास ध्यान रखता हूं कि मैं कभी बेसूरा न गाऊं। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि बैल भी मुझसे अच्छा गाता है। मुझे अपनी खुद की आवाज़ ज्य़ादा सुनना पसंद नहीं। जितना कम मैं अपनी आवाज़ सुनूं, उतना ही अच्छा है।(हंसते हुए)

 

आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आप दिल से कभी बॉलीवुड से नहीं जुड़ पाए। ऐसा क्यों?

बहुत ज़्यादा वक्त जाया हो जाता है। कभी कभी ये खुद ज़ाहिर हो जाता है कि ये जगह ठीक नहीं है। लाइफ में काफी सारी चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें करने में आपको ज़्यादा खुशी मिलती है जैसे कुछ नया एक्सपलोर करना, नेचर को करीब से देखना। आपको वही काम करना चाहिए, जिसमें आपको ज़्यादा खुशी मिले।

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