शायद बॉलीवुड सतही मनोरंजन और नकली दुनिया के साथ एक अलग ही दुनिया में रहता है.
Trending Photos
मुंबई: संजय दत्त पर राजकुमार हिरानी की बॉयोपिक संजू बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाए हुए है और अब 150 करोड़ से अधिक का कारोबार कर चुकी है. इसने न केवल हिरानी की एक फिल्म निर्माता के रूप में काबिलियत को साबित किया है बल्कि उन्होंने रणबीर कपूर को बॉलीवुड के सेंटर में ला दिया है. ऐसा करके उन्होंने एकतरफा संजय दत्त का स्तुति गान किया है. हिरानी और संजू के प्रोड्यूसर शायद भारत में नहीं रहते, जहां मैं रहता हूं.
शायद बॉलीवुड सतही मनोरंजन और नकली दुनिया के साथ एक अलग ही दुनिया में रहता है. लेकिन देश में, जहां पिछले 18 माह में कम से कम 7 पत्रकार मारे जा चुके हैं, हिरानी और उनके साथी पत्रकारों पर ही निशाना साध रहे हैं लेकिन यह नहीं देख पा रहे हैं कि ये संदेश ही समाज और देश को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाते हैं.
यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है जो उन्हें लोकतंत्र में प्रदान की गई है, जिसका समर्थन यही चौथा स्तंभ करता है. हालांकि, कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जो उसी टैबलॉइड पर बॉलीवुड की खबरें प्लांट करते हैं, पेड रिव्यू लिखते हैं.
पत्रकारिता में अच्छा पैसा नहीं मिलता. घंटों तक चलने वाली नौकरी. शायद राजकुमार हिरानी को अपना हाथ कुछ समय के लिए 365x7x24 में काम करने में आजमाना चाहिए. उन्हें नक्सल प्रभावित क्षेत्र से रिपोर्टिंग करने का भी प्रयास करना चाहिए. इसके अलावा बाढ़ और दंगों पर भी रिपोर्टिंग करना चाहिए. संजय दत्त को हीरो बनाने वाली फिल्म में मीडिया की तस्वीर को गलत ढंग से पेश किया है.
छपी जिसकी खबर, बनी उसकी खबर,
किसी हाईकोर्ट का उसको नहीं डर
लूप में घुमाके एक झूठ बार-बार
सच्चाई का दिया उसने पीछे.. पी..
झूठ इतना बड़ा है, कि सच हो गया
बड़ा बोलता है अभी, बस हो गया.
मुख्यधारा के मीडिया ने कई स्टोरी संजय दत्त को हीरो बनाते हुए पेश की हैं और हिरानी ने उन पर ध्यान नहीं दिया. मीडिया पर गलत ढंग से हमला किया है. शायद वे स्टोरी उनके मुताबिक थी, लेकिन उनका उल्लेख नहीं किया. वीडियो में पत्रकारों द्वारा सूत्र का उल्लेख करने की आदत पर सवाल उठाए गए हैं. यदि सूत्रों का जिक्र नहीं किया जाएगा तो आधी से ज्यादा खबरें प्रकाशित नहीं हो पाएंगी. ऐसा मैं अपने इस इंडस्टी के 18 वर्ष के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं.
इतना तो मैं सुरक्षित ढंग से कह सकता हूं कि ग्राउंड रिपोर्टर में खबर के लिए जुनून होना चाहिए. इसके अलावा, न्यूजपेपर को बेचने और चैनल की टीआरपी बढ़ाने के प्रयास में क्या गलत है? इस देश में मीडिया मोटे तौर पर निजी हाथों में है और चैरिटेबल बिजनेस नहीं है. अगर थोड़ी सी बोल्ड हेडलाइन अधिक लोगों को पढ़ने/देखने के लिए प्रेरित करती है इसके लिए खबर को पढ़ने वालों पर दोष लगाया जाना चाहिए, न कि पत्रकारों पर.
निश्चित रूप से अगर राजकुमार हिरानी सच्चाई को सामने को लाने का प्रयास कर ही रहे थे तो वह लोगों से बात करके डॉक्यूमेंट्री भी बना सकते थे. इसके बजाय, उन्होंने कई सितारों को लेकर संजय दत्त पर फिल्म बनाई. मीडिया बोलता है अब बस हो गया. फुल स्टॉप.
(प्रसाद सान्याल जी मीडिया में डिजिटल ग्रुप एडिटर हैं.)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)