क्यों जेपी की पत्नी पर इतना भरोसा करती थीं कमला नेहरू
Advertisement
trendingNow1763557

क्यों जेपी की पत्नी पर इतना भरोसा करती थीं कमला नेहरू

नेहरू की बहनों और मां का कमला के प्रति रुख अच्छा नहीं था. ऐसे में कमला आध्यात्म और धर्म में रमने लगीं और उनकी सबसे प्यारी सखी होती थीं, जेपी की पत्नी प्रभावती. 

क्यों जेपी की पत्नी पर इतना भरोसा करती थीं कमला नेहरू

जवाहर लाल नेहरू अक्सर घर से बाहर रहते थे, या तो कांग्रेस की मीटिंग या आंदोलनों के चलते देश के किसी कोने में या फिर जेल में. बहुत कम लोगों को पता है कि इंदिरा गांधी के बाद भी नेहरूजी के एक बेटा पैदा हुआ था, लेकिन एक हफ्ते के अंदर ही चल बसा तो कमला और भी ज्यादा निराश हो गईं. इंदिरा भी पुणे पढ़ने चलीं गईं तो वह काफी अकेलापन महसूस करती थीं. फिर इंदिरा को पुणे की पढ़ाई छोड़कर जल्दी ही मां की बीमारी के चलते वापस आना पड़ा, उनको टीबी की बीमारी थी. जब थोड़ा ठीक हुईं तो नेहरूजी ने इंदिरा को शांतिनिकेतन में पढ़ने के लिए भेज दिया. कमला फिर अकेली रह गईं. इधर नेहरू की बहनों और मां का कमला के प्रति रुख अच्छा नहीं था. ऐसे में कमला आध्यात्म और धर्म में रमने लगीं और उनकी सबसे प्यारी सखी होती थीं, जेपी की पत्नी प्रभावती. वो उनसे अपने मन की सारी बातें खत में लिख देती थीं, तमाम ऐसी बातें जिनको पढ़कर आप हैरत में पड़ जाएंगे.

गांधीजी के आश्रम में रहने के दौरान हुई दोस्ती 
कमला अपनी मां के साथ रामकृष्ण मिशन के स्वामी शिवानंद से मिलीं और बिना नेहरूजी को बताए दीक्षा ले ली. इतना ही नहीं वो देहरादून में मां आनंदमयी से भी मिलीं, बाद में पीएम बनने के बाद इंदिरा भी उनसे लगातार मिलती रहीं. कमला अक्सर जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती को पत्र में लिखा करती थीं, ‘’क्यों तुम क्यों मेरे लिए उदास हो? मैं तो इस दुनिया पर बोझ हूं’’. एक पत्र में तो कमला ने लिखा है, ‘इतने साल मैंने गृहस्थ आश्रम में बिताए, इतना समय मैं भगवान की खोज में बिताती, तो मुझे वो मिल जाते’. उनकी नेहरूजी से दूरी आप इस एक लाइन में साफ समझ सकते हो. प्रभावती से उनकी दोस्ती गांधीजी के आश्रम में रहने के दौरान हुई थी, बाद में जेपी ने ये खत इंदिरा को सौंप दिए थे.

प्रभावती ने नेहरूजी को लिखा पत्र
1958 में एक पत्र नेहरूजी ने भी अपने हाथ से प्रभावती को लिखा था, दरअसल, प्रभावती चाहती थीं कि वो एक लड़कियों का एक स्कूल खोलें और वो उनकी प्रिय सहेली कमला नेहरू के नाम पर हो. तो प्रभावती ने नेहरूजी को लिखा था कि क्या वो इस स्कूल का उद्घाटन करना चाहेंगे? इस पर नेहरूजी ने जवाब में एक खत लिखा था. इस खत में उन्होंने लिखा था कि, ‘मैं बहुत खुश हूं कि कोई ऐसा नया स्कूल खोला जा रहा है और मैं भी बच्चियों की एजुकेशन का हिमायती रहा हूं. लेकिन मैंने कभी प्रतिज्ञा ली थी कि अगर किसी स्कूल, प्रोजेक्ट या प्रोग्राम का नाम मेरे पिता या मेरी पत्नी के नाम पर रखा जाता है, तो मैं उसका उद्घाटन नहीं करूंगा’’

वैसे जिस डिस्पेंसरी को कमला नेहरू स्वराज भवन, इलाहाबाद में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मदद के लिए चलाया करती थीं, बाद में उसे कमला नेहरू चैरिटेबल हॉस्पिटल में बदल दिया गया, जिसका उद्घाटन खुद महात्मा गांधी ने 1939 में किया था. लेकिन ये भी काफी दिलचस्प है कि हाल ही में खबरों में आए जिला हाथरस के कस्बे सासनी में नेहरूजी ने एक बाजार का उद्घाटन किया था, जिसका पत्थर आज भी वहां लगा है, नाम था-कमला बाजार और ये उद्घाटन उन्होंने उसी साल किया था, जिस साल कमला नेहरू की मौत हुई थी यानी 1936 में. फिर प्रभावती को मना करने की वजह क्या थी?

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news