जन्मदिन विशेष: देश के पहले ओलंपिक गोल्ड विनर, टॉप पर नए प्लेयर्स के लिए लिया संन्यास
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जन्मदिन विशेष: देश के पहले ओलंपिक गोल्ड विनर, टॉप पर नए प्लेयर्स के लिए लिया संन्यास

भारत के लिए पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल दिलाने वाले अभिनव बिंद्रा 28 सितंबर को अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं.

अभिनव बिद्रा का करियर शानदार रहा लेकिन वे केवल एक ही बार ओलंपिक गोल्ड जीत सके. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश के खेलों के गौरव अभिनव बिंद्रा शुक्रवार 28 सितंबर को  अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं. अभिनव पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने देश का पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाने की उपलब्धि हासिल की थी. अभिनव ने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता था. अभिनव के कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार शानदार प्रदर्शन करने की उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने अपने करियर के शीर्ष पर संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था. 

  1. देश के लिए पहले गोल्ड मेडल जीता था अभिनव ने
  2. कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार पदक जीते बिंद्रा ने
  3. बीजिंग के बाद फिर ओलंपिक पदक नहीं जीत सके बिंद्रा

28 सितंबर 1982 को उत्तराखंड में जन्मे अभिनव को बचपन से ही उनके शूटिंग के प्रति रुझान को देखते हुए उनके माता-पिता ने घर में ही शूटिंग रेंज बनवा दिया था, ताकि उन्हें प्रैक्टिस करने में परेशानी न हो. अभिनव ने 15 साल की उम्र से ही निशानेबाजी करना शुरू कर दी थी. कम उम्र में ही उन्होंने उपलब्धि हासिल करना शुरू कर दी थीं. 

अभिनव ने साल 1998 के मलेशिया कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने देश के सबसे युवा खिलाड़ी के तौर पर भाग लिया था. वे ओलिंपिक (सिडनी, 2000) में  भी भारत के लिए भाग लेने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने थे. उसी साल उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था. इसके बाद उन्होंने 2001 म्यूनिख वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता और उसी साल वे राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किए गए.

लगातार शानदार प्रदर्शन
2002 से लेकर 2014  अब तक के हर कॉमनवेल्थ गेम्स में बिंद्रा ने गोल्ड मेडल जीता बिंद्रा ने 2002, 2006, 2010 और 2014 में स्वर्ण पदक जीता. 2004 में एथेंस ओलिम्पिक में अभिनव ने रिकॉर्ड तो कायम किया, लेकिन पदक जीतने से चूक गए. इसके बाद साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने केवल 26 साल की उम्र में बीजिंग ओलिंपिक में देश को 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद साल 2009 में उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड मिला. अभिनव साल 2012 के लंदन ओलंपिक में क्वालीफाई करने से चूक गए और जब वे रियो ओलिंपिक में प्रदर्शन करने उतरें, तो वह कुछ पॉइंट्स से पीछे रह गए और देश को कोई भी मेडल नहीं दिला पाए. उनके राइफल के बदलने से ये सब हुआ था.

शूटिंग को कहा अलविदा
रियो ओलंपिक के बाद सफलता के शिखर पर रहते ही संन्यास लेकर अभिनव ने सभी को चौंका दिया. अभिनव ने कहा कि अब इस फील्ड में नए खिलाड़ियों को मौक़ा देना चाहिए. इसके बाद भी वे खेल से जुड़े रहे और युवा प्रतिभाओं की खोज में अपने अनुभव को योगदान देते रहे हैं. हाल ही में उन्हें प्रतिष्ठित आईओसी के खिलाड़ी आयोग के सदस्य नियुक्त किया गया है

खुद की कंपनी के सीओए हैं अभिनव
अभिनव अमेरिका की कालोर्डो यूनिवर्सीटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की स्नातक डिग्री ले चुके हैं. फिलहाल वे अभिनव फ्यूचरिस्टिक्स कंपनी के सीओए हैं जो एक हथियार बनाने वाली जर्मन कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटर है. वे कई कंपनियों के ब्रांड एंबेसेडर रह चुके हैं. इसके अलावा वे फिक्की की स्पोर्ट्स कमेटी  के भी सदस्य रह चुके हैं. 

अभिनव की जीवनी पर एक किताब भी प्रकाशित हो चुकी है. ए शॉर्ट हिस्ट्री: माय ऑबसेसिव जर्नी टू ओलंपिक गोल्ड नाम की इस किताब के सह लेखक रोहित बृजनाथ हैं. उनके ऊपर एक बायोपिक भी बन रही है जिसमें उनकी भूमिका हर्षवर्धन कपूर निभाने जा रहे हैं. 

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