BCCI: भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के सचिव जय शाह ने उन खिलाड़ियों के लिए मौजूदा मैच फीस 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 45 लाख रुपये करने की घोषणा की जो प्रत्येक सत्र में कम से कम सात टेस्ट मैच खेलते हैं. एक टेस्ट खिलाड़ी जो एक सत्र में लगभग 10 टेस्ट मैच में हिस्सा लेता है, उसे 4.50 करोड़ रुपये की मोटी धनराशि मिलेगी.
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BCCI: भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के सचिव जय शाह ने उन खिलाड़ियों के लिए मौजूदा मैच फीस 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 45 लाख रुपये करने की घोषणा की जो हर सीजन में कम से कम सात टेस्ट मैच खेलते हैं. एक टेस्ट खिलाड़ी जो एक सीजन में लगभग 10 टेस्ट मैच में हिस्सा लेता है, उसे 4.50 करोड़ रुपये की मोटी धनराशि मिलेगी. यह राशि ‘रिटेनर फीस’ के इतर होगी जो खिलाड़ी को सालाना केंद्रीय अनुबंध के अंतर्गत मिलती है.
जय शाह ने ऐलान किया
BCCI के सचिव जय शाह ने ऐलान किया, 'मुझे सीनियर पुरुष टीम के लिए ‘टेस्ट क्रिकेट प्रोत्साहन योजना’ की शुरुआत करने की घोषणा करके खुशी हो रही है क्योंकि यह कदम हमारे खिलाड़ियों को वित्तीय विकास और स्थिरता मुहैया कराने के उद्देश्य से उठाया गया है. 2022-23 सत्र से ‘टेस्ट क्रिकेट प्रोत्साहन योजना’ टेस्ट मैच के लिए मौजूदा 15 लाख रुपये की मैच फीस के लिए अतिरिक्त पुरस्कार के तौर पर काम करेगी.
(@JayShah) March 9, 2024
मैच फीस के अलावा मिलेगा जबरदस्त इंसेंटिव
प्रत्येक सत्र में कम से कम नौ टेस्ट मैच हो सकते हैं तो अगर एक खिलाड़ी इनमें से चार टेस्ट खेलता है तो उसे प्रत्येक मैच के लिए 15 लाख रुपये की मौजूदा राशि मिलेगी जबकि रिजर्व खिलाड़ियों को इसका आधा मिलेगा. लेकिन अगर वह कम से कम पांच से छह मैच खेलता है तो शुरुआती 11 में शामिल खिलाड़ी की मैच फीस दोगुनी 30 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी जिसमें रिजर्व खिलाड़ियों को प्रत्येक मैच 15 लाख रुपये मिलेंगे.
जैसे ही एक खिलाड़ी एक सत्र में सात या इससे ज्यादा मैच के लिए शुरुआती प्लेइंग इलेवन में होता है तो उसे प्रत्येक मैच के लिए 45 लाख रुपये की राशि मिलेगी और रिजर्व खिलाड़ियों को 22.5 लाख रुपये मिलेंगे जो प्लेइंग इलेवन में खेलने वाले क्रिकेटर की मौजूदा मैच फीस (15 लाख रुपये) से ज्यादा राशि होगी. इस समय एक भारतीय टेस्ट क्रिकेटर को प्लेइंग इलेवन में चुने जाने के लिए 15 लाख रुपये की राशि मिलती है जबकि रिजर्व खिलाड़ियों को साढ़े सात लाख रुपये मिलते हैं.
क्यों लिया गया ये बड़ा फैसला
यह फैसला कुछ खिलाड़ियों जैसे ईशान किशन, श्रेयस अय्यर और दीपक चाहर के बोर्ड के लाल गेंद के क्रिकेट को प्राथमिकता देने के आदेश की अनदेखी के बाद लिया गया. ये खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी क्रिकेट खेलने के बजाय अपनी इंडियन प्रीमियर लीग टीम के लिए ट्रेनिंग में जुटे थे.
PTI से इनपुट