सेक्सुअल हैरासमेंट (Sexual Harassment) एक गंभीर मुद्दा है जिससे क्रिकेट (Cricket) जैसा 'जेंटलमैन गेम' भी अछूता नहीं है. ऐसे में बीसीसीआई (BCCI) इसको सख्ती से निपटना चाहती है.
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नई दिल्ली: बीसीसीआई (BCCI) ने सोमवार को समग्र यौन उत्पीड़न रोकथाम (Prevention of Sexual Harassment) को मंजूरी दी है जिसके दायरे में भारतीय क्रिकेटर भी आएंगे. यानी सेक्सुअल हैरासमेंट मामलों में प्लेयर्स भी नहीं बच पाएंगे.
अब तक बीसीसीआई की यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए किसी तरह की खास पॉलिसी नहीं थी. ये नीति पदाधिकारियों, एपेक्स काउंसिल और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों के अलावा सीनियर से अंडर-16 लेवल के क्रिकेटर्स पर भी लागू होगी.
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9 पन्नों के इस दस्तावेज की कॉपी पीटीआई के पास भी है जिसमें बीसीसीआई ने कहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए चार सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा. सोमवार को एपेक्स काउंसिल की बैठक के दौरान हालांकि इसके सदस्यों पर फैसला नहीं किया गया.
BCCI officials, players and contracted individuals to come under POSH guidelines approved by Apex Council
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— ANI Digital (@ani_digital) September 20, 2021
कौन करेगा मामले की जांच?
पॉलिसी के मुताबिक, ‘आंतरिक समिति की अध्यक्ष महिला होनी चाहिए जो अपने कार्यस्थल पर सीनियर स्तर पर नियुक्त हो. आंतरिक समिति के 2 सदस्यों का चयन कर्मचारियों के बीच से किया जाएगा, इसमें उन्हें तरजीह दी जाएगी जो महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हों या उन्हें सामाजिक कार्य का तजुर्बा हो या कानूनी जानकारी हो.’
बीसीसीआई की पॉलिसी के मुताबिक, ‘आंतरिक समिति का एक सदस्य गैर सरकारी संगठन या ऐसे संघ से चुना जाना चाहिए जो महिलाओं के अधिकारियों के लिए काम करते हों या सेक्सुअल हैरासमेंट से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखते हो (बाहरी सदस्य).’ आंतरिक समिति के कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.
शिकायकर्ता को घटना के 3 महीने के भीतर शिकायत दर्ज करानी होगी और आंतरिक समिति (Internal Complaints Committee) आरोपी को आरोपों का जवाब देने के लिए 7 कार्यदिवस (Working Days) का वक्त देगी.
आंतरिक समिति को अपनी जांच पूरी करने के लिए शिकायत के दिन से 90 दिन का समय मिलेगा और वह अपनी सिफारिश बीसीसीआई को सौंपेगी जो 60 दिन में कार्रवाई करेगा. शिकायतकर्ता या आरोपी अगर बीसीसीआई के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो अदालत की शरण में जा सकते हैं.